Mohammed Siraj on trolls: Siraj ने साल 2025 में भारत के England दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पांच टेस्ट मैचों में कुल 23 विकेट झटके, जिसमें ओवल टेस्ट में उनकी शानदार गेंदबाज़ी ने भारत को जीत दिलाई। सिराज की मेहनत और मैदान पर 100% देने की आदत ने उन्हें फैंस के बीच काफी लोकप्रिय बना दिया है। लेकिन Siraj को यह भी समझ आ गया है कि जैसे तारीफें मिलती हैं, वैसे ही ट्रोलिंग और आलोचना भी बहुत जल्दी शुरू हो जाती है।
बुरे वक़्त पर क्या बोले Siraj
सिराज ने एक Interview में बताया कि जब खिलाड़ी अच्छा खेलता है, तो लोग उसकी तारीफों के पुल बांधते हैं, लेकिन एक खराब मैच के बाद ही वही लोग बुराई करने लगते हैं। उन्होंने कहा, “जब अच्छा खेलो तो लोग कहते हैं कि सिराज जैसा कोई गेंदबाज़ नहीं है, लेकिन जैसे ही एक मैच में अच्छा प्रदर्शन न हो, लोग कहने लगते हैं ये कहां से आया है, जाओ ऑटो चलाओ।”
उनका कहना है कि इस तरह की बातें बहुत जल्दी बदल जाती हैं और लोग तुरंत हीरो से जीरो बना देते हैं। सिराज ने यह भी साफ किया कि अब वह बाहर के लोगों की राय से ज्यादा फर्क नहीं पड़ने देते। उनके लिए सबसे ज़रूरी है कि उनके परिवार और टीम के साथी उनके बारे में क्या सोचते हैं।
Mohammed Siraj की साधारण शुरुआत से ऊँचाई तक का सफर
हैदराबाद के रहने वाले मोहम्मद सिराज की पृष्ठभूमि बहुत साधारण रही है। उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे, और सिराज ने बहुत मुश्किलों का सामना करते हुए क्रिकेट में अपना नाम बनाया। आज वह दुनिया के टॉप गेंदबाजों में गिने जाते हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ में 23 विकेट लेकर उन्होंने दिखा दिया कि मेहनत और लगन से क्या कुछ हासिल किया जा सकता है। इस प्रदर्शन के साथ वह Kapil Dev और Jasprit Bumrah जैसे दिग्गजों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने एक से ज़्यादा टेस्ट सीरीज़ में 20 या उससे ज़्यादा विकेट लिए हैं।
अभी सिराज ICC टेस्ट गेंदबाजों की रैंकिंग में 15वें नंबर पर हैं। हाल ही में उन्होंने अहमदाबाद में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में सात विकेट लेकर भारत को एक पारी और 140 रन से जीत दिलाने में अहम योगदान दिया।
मोहम्मद सिराज की कहानी एक ऐसे खिलाड़ी की है जिसने संघर्ष से सीखकर सफलता हासिल की है। उन्होंने न सिर्फ अपनी मेहनत से नाम कमाया, बल्कि आलोचनाओं को भी सकारात्मक सोच के साथ जवाब दिया। सिराज का मानना है कि असली ताकत खुद पर विश्वास रखने और करीबी लोगों की राय को अहमियत देने में है।
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