क्रिकेटर का वजन मायने नहीं रखता बोले गावस्कर सरफ़राज़ के लिए सिलेक्टर्स की लगायी क्लास

By Anjali Maikhuri

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भारत और न्यूजीलैंड के बिच खेले गए पहले टेस्ट मुकाबले में भले ही भारत को हारका सामना करना पड़ा लेकिन इस मुकाबले के दूसरे इनिंग में हमे सरफ़राज़ खान के बल्ले से उनका इंडिया के लिए पहला टेस्ट शतक देखने को मिला सरफ़राज़ खान ने बेंगलुरु में खेले गए पहले टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ शानदार शतकीय पारी खेली। उनका ये शतक भारत की दूसरी पारी में आया। इस पारी के बाद सरफराज की जमकर तारीफ हो रही है। सरफराज खान की इस पारी के बाद भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने टीम मैनेजमेंट, सेलेक्टर्स पर पर अपना गुस्सा व्यक्त किया है।

सरफराज खान ने लंबे समय तक घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उन्हें मौका काफी देर बाद मिला। सरफराज को इसी साल की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू करने का मौका मिला था। अपनी पहली ही पारी में उन्होंने अर्धशतक जमाया था। न्यूजीलैंड के खिलाफ शतक उनका पहला शतक था। गावस्कर ने इस पारी के बाद सरफराज को लंबे समय तक टीम से दूर रखने को लेकर सेलेक्टर्सकी शब्दों से खूब क्लास लगाई है।

गावस्कर का मानना है कि सरफराज को काफी समय पहले टीम इंडिया में जगह मिल जानी चाहिए थी लेकिन कुछ लोगों को उनकी फिटनेस खराब लगती थी जिसके कारण उन्हें मौका नहीं दिया। गावस्कर ने स्पोर्टस्टार में अपने कॉलम में लिखा है, “सरफराज की मैदान पर वापसी उनकी कमर की लंबाई से ज्यादा थी। दुर्भाग्यवश, भारतीय क्रिकेट में कई सारे लोग हैं जो फैसले लेते हैं।”

उन्होंने कहा, “सरफराज को लंबे समय तक भारतीय टीम से दूर रखा गया जबकि वह घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बना रहे थे। ये इसलिए हो रहा था क्योंकि जो फैसले लेने वाले लोग थे उनको लगता था कि सरफराज की कमर पतली नहीं है और इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए ये जरूरी है।”

अपनी बात को समझाने के लिए गावस्कर ने ऋषभ पंत का उदाहरण देकर कहा कि क्रिकेटर का वजन मायने नहीं रखता । उन्होंने कहा कि पंत की भी पतली कमर नहीं है, लेकिन वह लंबे समय तक विकेटकीपिंग करते हैं। उन्होंने कहा, “पंत भी एक और ऐसे क्रिकेटर हैं जिनकी कमर पतली नहीं है, लेकिन सभी जानते हैं कि वह क्या प्रभाव छोड़ते हैं। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि वह पूरे दिन विकेटकीपिंग भी करते हैं जिसमें छह घंटे तक लगातार उठना बैठना होता है। इसलिए ये यो-यो टेस्ट हटाओ और ये देखो की खिलाड़ी मानसिक तौर पर कितना फिट है।”

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