पिता ने पशुओं का चारा खाकर बेटी के सपने किये साकार, Gomithi ने गोल्ड लेकर रोशन किया पिता का नाम

By Desk Team

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30 साल की गोमती मरिमुतु ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 800 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीता है और इनकी कहानी सुनकर लोग बहुत भावुक हो रहे हैं और उन्हें गोमती पर गर्व हो रहा है। इस दौड़ मे गोमती ने 2 मिनट और 70 सेकेंड का समय लिया है। इस दौड़ की शुरूआत में किसी को नहीं लगा था कि गोमती इसमें गोल्ड मेडल जीत लेंगी।

जब दौड़ शुरू हुई थी उस समय वह पीछे चल रही थीं लेकिन फिर उसके बाद गोमती ने आखिरी 150 मीटर ऐसे दौड़ें जिसके बाद उन्होंने अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ यिा और नया स्थापित कर दिया। बता दें कि गोमती मरिमुतु के पिता इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन इस जीत का पूरा श्रेय गोमती ने अपने पिता को दिया है।

हम कई परेशानियों से गुजर कर यहां पहुंचे हैं

गोमती ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है, जब मैं दौड़ती थी, तो पिता के पैरों में दिक्कत होने की वजह से वो चल नहीं पाते थे। लेकिन उनके पास एक मोपेड बाइक थी। उस समय हमारे गांव में शहर जाने के लिए बसों की सर्विस अच्छी नहीं थी, बिजली नहीं थी और ना ही अच्छी सड़कें थीं।

यहां पढ़ें ट्विटर का पोस्ट: https://twitter.com/NaveenFilmmaker/status/1120551940037980162

मां बनकर पिता ने की थी सेवा

गोमती ने आगे अपने इंटरव्यू में कहा हैं, जब मैं 4 बजे उठती, तो 4.30 बजे की बस मैं पकड़ती थी। यही वजह थी कि मेरे पिता रोज 4 बजे मुझे उठा देते थे। इसके अलावा जब मेरी मां की तबीयत खराब रहती थी तो वह मां बनकर मुझे दुध, पानी और खाना आदि यह सब कुछ दिया करते थे।

पिता ने जब खाया था पशुओं का चारा

अपने पिता को गोमती ने याद करते हुए कहा है, जब मैंने खेलना शुरू किया, हमारे पास खाने को ज्यादा नहीं होता था। वो मेरे लिए खाना अलग रख देते थे और खुद पशुओं का चारा खाते थे। मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकती। आगे गोमती बात करते हुए रों पड़ी और उन्होंने कहा, अगर आज मेरे पिता आस-पास होते तो मैं उन्हें भगवान का दर्जा देती।

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