कैसे जसप्रीत बुमराह के एक मैसेज ने कैमरून ग्रीन को करियर बचाने की हिम्मत दी

By Nishant Poonia

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ऑस्ट्रेलिया के स्टार ऑलराउंडर कैमरून ग्रीन एक बार फिर मैदान में वापसी को तैयार हैं। पीठ की सर्जरी के बाद उन्होंने धीरे-धीरे रिकवरी की और अब वो पूरी तरह फिट हैं। आने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेलने के लिए वो पूरी तरह तैयार हैं। लेकिन इस वापसी की कहानी सिर्फ फिजियो और डॉक्टर्स तक ही सीमित नहीं है—इसमें इंडिया के स्टार पेसर जसप्रीत बुमराह का भी बड़ा रोल है।

WTC फाइनल से पहले एक इंटरव्यू में ग्रीन ने बताया कि जब वो सर्जरी से एक रात पहले काफी घबराए हुए थे, तब उन्हें बुमराह का मैसेज आया। बुमराह उस वक्त न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेल रहे थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ग्रीन को सपोर्ट करने के लिए टाइम निकाला।

ग्रीन ने कहा, “मैंने जसप्रीत के साथ IPL में मुंबई इंडियंस के लिए खेला था, लेकिन हम साथ नहीं खेल पाए क्योंकि वो उस सीजन में इंजर्ड थे। इसके बावजूद उन्होंने मुझे मैसेज किया और मेरी सर्जरी को लेकर पॉजिटिव बातें कीं। इससे मुझे बहुत हिम्मत मिली।”

दरअसल, बुमराह खुद 18 महीने पहले इसी तरह की बैक सर्जरी से गुज़रे थे। उन्हें भी लंबे वक्त तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा था, और इस साल की शुरुआत में उन्हें सिडनी टेस्ट के दौरान फिर से बैक स्पैज़म हुआ था। इस वजह से वो 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी भी नहीं खेल पाए थे।

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ग्रीन ने माना कि बुमराह को देखकर और उनका मैसेज पढ़कर उन्हें भरोसा मिला कि वो भी इस मुश्किल से बाहर आ सकते हैं। “जब मैंने बुमराह को पोस्ट-सर्जरी वापसी करते देखा, तो मुझे लगा कि अगर वो इतना अच्छा खेल सकते हैं, तो मैं भी कर सकता हूं।”

IPL 2024 में ग्रीन को मुंबई इंडियंस से ट्रेड कर के रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने अपनी टीम में लिया था। लेकिन चोट की वजह से वो इस सीजन में नहीं खेल पाए।

अब जब ऑस्ट्रेलिया WTC का टाइटल डिफेंड करने के लिए तैयार है, तो ग्रीन की वापसी टीम के लिए एक बड़ी ताकत बन सकती है। पिछली बार ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के ओवल मैदान पर इंडिया को हराकर खिताब जीता था। इस बार फाइनल लॉर्ड्स में 11 से 15 जून के बीच खेला जाएगा। 16 जून को रिजर्व डे रखा गया है।

ग्रीन ने बताया, “जब मैं रिकवरी कर रहा था और टीवी पर टीम के जश्न देखता था, तब दिल करता था कि मैं भी वहां होता। लेकिन फिर जसप्रीत का चेहरा और उनकी वापसी याद आती थी, और सोचता था – अगर वो कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं।”

ये कहानी सिर्फ दो खिलाड़ियों की नहीं है, बल्कि इस बात की है कि कैसे एक खिलाड़ी की सच्ची इंसानियत और सपोर्ट दूसरे के करियर को फिर से संवार सकती है।

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