Virat Kohli, Shubman Gill Image Source: Social Media
Cricket

‘कोहली होते तो शतक मारकर लौटता’, लॉर्ड्स में हार के बाद शुभमन गिल पर उठे सवाल

शुभमन गिल की आक्रामकता पर उठे सवाल, कोहली से तुलना

Nishant Poonia

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में भले ही विराट कोहली ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया हो, लेकिन उनका नाम अभी भी हर बहस में लिया जा रहा है। खासकर जब से लॉर्ड्स टेस्ट में शुभमन गिल का इंग्लैंड के बल्लेबाज़ ज़ैक क्रॉली और बेन डकेट से मैदान पर गरमा-गरम बहस हुई, कई दिग्गजों ने उनकी तुलना कोहली की आक्रामकता से कर दी।

लेकिन गिल का बल्ला इस टेस्ट में पूरी तरह खामोश रहा। लॉर्ड्स टेस्ट में गिल पहली पारी में 16 और दूसरी पारी में महज़ 6 रन बनाकर आउट हो गए। जबकि इससे पहले एजबेस्टन टेस्ट में उन्होंने शानदार खेल दिखाते हुए 269 और 161 रनों की पारियां खेली थीं। ऐसे में लॉर्ड्स में उनका अचानक फ्लॉप होना चर्चा का विषय बन गया।

मंझरेकर ने की गिल-कोहली की तुलना

भारत के पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर संजय मंझरेकर ने इस मौके पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर कोहली इस मुकाबले में गिल की जगह खेल रहे होते, तो शायद शतक लगाकर लौटते। उन्होंने कहा,

“अगर कोई सिर्फ ये दिखाने के लिए आक्रामक रुख अपनाता है कि हम भारतीय हैं, किसी से कम नहीं, तो ये बस एक ब्रांड बनाने जैसा है। मुझे उम्मीद है कि शुभमन गिल ऐसा नहीं कर रहे थे। कोहली के लिए ये स्वाभाविक था, उनकी बल्लेबाज़ी में वो एग्रेसन और निखरता था। लेकिन गिल को देखो, जो एजबेस्टन में डॉन ब्रैडमैन की तरह खेल रहा था, वो यहां सिर्फ 9 गेंदों में इतना असहज लग रहा था, जैसे दोहरा शून्य बना बैठा हो।”

मंझरेकर ने आगे कहा कि गिल का ऐसा रवैया दिखाता है कि शायद आक्रामकता उनके स्वभाव का हिस्सा नहीं है।

“अगर कोहली होता, तो इंग्लैंड के खिलाड़ियों की आंखों में आंखें डालकर खेलता और शतक लगाकर लौटता।”

Sanjay Manjrekar

गिल की बहस इंग्लैंड के लिए बनी मोटिवेशन

दरअसल, तीसरे दिन गिल और इंग्लैंड के खिलाड़ियों के बीच जो नोकझोंक हुई, उसने इंग्लिश टीम को और ज़्यादा मोटिवेट कर दिया। उसके बाद उन्होंने गिल को दोनों पारियों में सस्ते में आउट कर भारत पर दबाव बना दिया।

इंग्लैंड सीरीज़ में 2-1 से आगे

लॉर्ड्स में इस जीत के साथ ही इंग्लैंड ने पांच मैचों की सीरीज़ में 2-1 की बढ़त ले ली है। अब ओल्ड ट्रैफर्ड में होने वाला चौथा टेस्ट भारत के लिए ‘करो या मरो’ जैसा होगा। अगर गिल की कप्तानी वाली टीम अगला मैच हार जाती है, तो सीरीज़ भी उनके हाथ से फिसल जाएगी और आखिरी टेस्ट महज़ औपचारिकता रह जाएगा।

अब देखना ये है कि गिल आलोचनाओं को किस तरह लेते हैं और क्या कोहली की गैरमौजूदगी में टीम इंडिया ओल्ड ट्रैफर्ड में वापसी कर पाती है या नहीं। फिलहाल मंझरेकर के इस बयान ने बहस को और तेज़ कर दिया है कि क्या कोहली की आक्रामकता ही भारत को मैच जिताती थी, या टीम को अब नए सिरे से अपने अंदाज़ को गढ़ना होगा।