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T20 और वनडे में सफेद, तो टेस्ट फॉर्मेट में क्यों किया जाता है लाल और पिंक बॉल का इस्तेमाल?

Ravi Kumar

आपने क्रिकेट मैच देखते हुए गौर किया होगा कि अलग-अलग फॉर्मेट में अलग-अलग रंग की गेंदों का इस्तेमाल होता है. टेस्ट मैच में लाल, वनडे और टी20 में सफेद और डे-नाइट टेस्ट मैचों में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन रंगों के पीछे क्या कारण है?

क्रिकेट की गेंद की संरचना

क्रिकेट की गेंद लेदर और कॉर्क से बनाई जाती है और इसका वजन करीब 155 से 163 ग्राम के बीच होता है. इसका सर्कमफेरेंस 22.4 से 22.9 सेंटीमीटर के बीच होता है. हालांकि, महिला क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंद थोड़ी छोटी होती है.

लाल गेंद

टेस्ट क्रिकेट, घरेलू और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में लाल गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. लाल गेंद को सफेद धागे से सिला जाता है.

सफेद गेंद

 वनडे और टी20 क्रिकेट में सफेद गेंद का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि खिलाड़ी फ्लड लाइट में खेले जाने वाले मैचों में बॉल को आसानी से देख सकें. सफेद गेंद को गहरे हरे रंग के धागे से सिला जाता है.

गुलाबी गेंद

 डे-नाइट टेस्ट मैचों में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है ताकि खिलाड़ी रात में भी बॉल को आसानी से देख सकें. गुलाबी गेंद को काले रंग के धागे से सिला जाता है.

क्यों हुआ सफेद गेंद का इस्तेमाल?

28 नवंबर 1978 को ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच हुए एक वनडे मैच में पहली बार सफेद गेंद का इस्तेमाल किया गया था. यह मैच फ्लड लाइट्स में खेला जा रहा था और लाल गेंद को देख पाना मुश्किल हो रहा था. इसलिए इस दौरान पहली बार सफेद गेंद का इस्तेमाल किया गया.

क्यों होता है अलग-अलग रंगों की गेंद का इस्तेमाल?

क्रिकेट में अलग-अलग रंगों की गेंदों का इस्तेमाल खेल के फॉर्मेट और लाइट की स्थिति के अनुसार किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों को बॉल को आसानी से देखने में मदद करना है.