Vijay Hazare Trophy: Karnataka और Vidarbha के बीच फाइनल मुकाबला, Karun की तूफानी फॉर्म बनेगी काल

By Juhi Singh

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आज दोपहर 1:30 बजे, कर्नाटक और विदर्भ के बीच विजय हजारे ट्रॉफी 2025 का फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। इस रोमांचक मैच में विदर्भ का पलड़ा भारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि टीम के कप्तान करुण नायर इस समय शानदार फॉर्म में हैं। करुण नायर ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया है और उनका बल्ला रनों और शतकों से जल रहा है।

करुण नायर की शानदार फॉर्म

करुण नायर ने अभी तक 7 पारियों में 752 रन बनाए हैं और इस दौरान उन्होंने 5 शतक भी ठोके हैं। इन पारियों में से एक को छोड़कर सभी नाबाद रही हैं, और उनके द्वारा बनाए गए रन विजय हजारे ट्रॉफी के इतिहास में किसी कप्तान द्वारा बनाए गए सबसे ज्यादा रन हैं। नायर का यह प्रदर्शन पिछले सीज़न के ऋतुराज गायकवाड़ के 660 रन के रिकॉर्ड से भी कहीं ज्यादा है। नायर के शानदार स्कोर को देखते हुए, कर्नाटक की टीम सबसे पहले उनके बल्ले पर अंकुश लगाना चाहेगी। विदर्भ के कप्तान ने अब तक 112*, 44*, 163*, 111*, 112, 122* और 88* रन की पारियां खेली हैं। नायर के पास इस सीज़न में 830 रन के रिकॉर्ड को तोड़ने का भी मौका है, जो नारायण जगदीशन ने 2022-23 में बनाए थे।

कर्नाटक की रणनीति और ताकत

कर्नाटक की टीम इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। टीम के तेज गेंदबाज वासुकी कौशिक (15 विकेट) और अभिलाष शेट्टी (14 विकेट) के अलावा, लेग स्पिनर श्रेयस गोपाल (18 विकेट) भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा की वापसी से कर्नाटक का गेंदबाजी आक्रमण और भी मजबूत हुआ है। इसके अलावा, कर्नाटक के बल्लेबाजों का फॉर्म भी शानदार है। कप्तान मयंक अग्रवाल ने चार शतकों समेत 619 रन बनाए हैं, जबकि रविचंद्रन एस (340), केवी अनीश (417) और विकेटकीपर केएल श्रीजित (225) ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देवदत्त पडिक्कल भी पिछले दो मैचों में 102 और 86 रन की शानदार पारियां खेल चुके हैं।

विदर्भ की चुनौती

विदर्भ के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वे कर्नाटक के मजबूत गेंदबाजी आक्रमण का मुकाबला कैसे करेंगे। विदर्भ के शीर्ष क्रम में करुण नायर का साथ ध्रुव शोरे और यश राठौड़ से भी मिल रहा है, जिन्होंने अब तक 384 रन बनाए हैं। हालांकि, कर्नाटक की टीम को इस तिकड़ी को जल्दी आउट करना होगा, क्योंकि विदर्भ के मध्यक्रम और निचले क्रम के बल्लेबाजों को ज्यादा मौके नहीं मिले हैं।