Gender बदलने से टूटा Sanjay Bangar के बेटे का क्रिकेटर बनने का सपना

By Anjali Maikhuri

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अक्सर आपने सुना होगा की क्रिकेट ने किसी की जिंदगी बदल दी पर आज आपको एक ऐसे किस्से के बारे में बता ते हैं जो कल से काफी ट्रेंड पर चल रहा है एक क्रिकेटर जिसने अपना जेंडर ही बदल दिया और सबसे ज्यादा शॉक करने वाली बात तो यह है की यह खिलाड़ी कोई और नहीं पूर्व भारतीय कोच संजय बांग के बेटे या कुछ यूँ कहें बेटी हैं जिस कहानी के बारे आज आपको बता रहे हैं ये कहानी सिर्फ क्रिकेट के खेल के बारे में नहीं है ये कहानी है किसी के पहचान की , समाज से लड़ने की आर्यन जिन्होंने हाल ही में अपनी जेंडर ट्रांजिशन की कहानी दुनिया के सामने रखी.

एक ऐसा सफर, जिसने उनकी ज़िन्दगी बदल दी, लेकिन इसके साथ ही उनके बचपन के क्रिकेट खेलने के सपने को भी कठिन बना दिया. अनाया की कहानी सोशल मीडिया पर पर जमकर वायरल हो रही है . आइये, जानते हैं आर्यन बांगर से अनाया बांगर बनने का ये सफर केसा रहा और क्या कुछ उन्होंने इस सफर में के दौरान झेला

अनाया का क्रिकेट के लिए प्यार उनके पापा पूर्व कोच संजय बांगर से आया . संजय बांगर को बचपन से खेलते देख अनाया का भी सपना था कि वो भी क्रिकेट के मैदान पर भारत का नाम रोशन करें. लेकिन HRT की वजह से उनके मसल्स और स्ट्रेंथ में काफी कमी आई है. वो कहती हैं कि ‘अब मेरे लिए अपने पुराने क्रिकेट के जज़्बे को वैसे जारी रखना मुश्किल हो गया है क्योंकि मेरे शरीर में काफी बदलाव हो रहे हैं.’ फिर भी, अनाया ने हार नहीं मानी है. आज वो इंग्लैंड के मैनचेस्टर में एक लोकल क्रिकेट क्लब के लिए खेलती हैं और हाल ही में उन्होंने एक सौ पैंतालीस रन बनाकर यह साबित किया कि उनका क्रिकेट का प्यार अभी भी बरकरार है.अनाया का ये स्ट्रगल सिर्फ एक ट्रांसजेंडर महिला बनने तक सीमित नहीं है, बल्कि एक ट्रांसजेंडर एथलीट होने की मुश्किलें भी हैं.

इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने हाल ही में एक कंट्रोवर्सियल रूल लागू किया है, जिसके हिसाब से 2025 से उन ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिलाओं की क्रिकेट में खेलने से रोका जाएगा जिन्होंने मेल प्यूबर्टी का अनुभव किया हो. ये नियम अनाया के लिए दिल तोड़ने वाला साबित हुआ. भले ही उनका होर्मोन लेवल महिलाओं के बराबर हों, लेकिन इस नियम के कारण उनके लिए प्रोफेशनल क्रिकेट में खेलना नामुमकिन हो गया है. अनाया ने अपनी निराशा जताते हुए कहा – ‘मुझमें जज़्बा और काबिलियत है, लेकिन सिस्टम मुझे बाहर कर रहा है क्योंकि ये नियम मेरी असलियत को नहीं समझता.’

अनाया का मानना है कि खेलों में ट्रांसजेंडर एथलीट्स के लिए जगह बननी चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि आखिर ट्रांसजेंडर एथलीट्स को अपना सपना पूरा करने का अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा? आज के समाज में खेलों में इंक्लूसिविटी यानी सबको जगह देने की बहुत ज़रूरत है. प्रोफेशनल क्रिकेट में खेलने की उनकी ख्वाहिश उन नियमों के कारण अधूरी रह गई जो ट्रांसजेंडर एथलीट्स के सपनों को रोकते हैं

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