Australia Cricket को दिशा देने वाले दिग्गज का निधन

वर्ल्ड कप जिताया, 41 की उम्र में की वापसी, टेस्ट में जड़ा तिहरा शतक
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Australia Team Image Source: Social Media
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बॉब सिम्पसन का नाम ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसे शख्स के रूप में दर्ज है जिसने न केवल मैदान पर शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि मैदान के बाहर भी टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनका 89 साल की उम्र में निधन हो गया, लेकिन उनकी यादें और योगदान हमेशा ज़िंदा रहेंगे।

बॉब सिम्पसन ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 1957 में की थी और लगभग दो दशक तक ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा रहे। इस दौरान उन्होंने 62 टेस्ट और 2 वनडे मुकाबले खेले, जिनमें 4800 से ज्यादा रन बनाए और 71 विकेट भी लिए। वे एक बेहतरीन ऑलराउंडर थे जो हर स्थिति में टीम के लिए उपयोगी साबित होते थे। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने कप्तानी संभाली और 39 टेस्ट मैचों में टीम का नेतृत्व किया। इनमें से 12 में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली।

1968 में उन्होंने क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया था, लेकिन 1977 में हालात कुछ ऐसे बने कि उन्हें फिर से मैदान पर लौटना पड़ा। वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के कारण टीम में कई खिलाड़ी नहीं थे और ऑस्ट्रेलिया कमजोर पड़ रही थी। उस समय 41 साल की उम्र में उन्होंने दोबारा क्रिकेट खेलना शुरू किया। इतनी उम्र में वापस आकर 10 टेस्ट मैच खेलना और दो शतक लगाना कोई आसान बात नहीं थी। उन्होंने 1977 में 52.83 की औसत से रन बनाए जो उनके खेल की गहराई को दर्शाता है।

सिम्पसन के करियर की सबसे यादगार बात 1964 में हुई जब उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ ओवल मैदान पर 311 रनों की तिहरी सेंचुरी लगाई। खास बात यह थी कि ये उनका पहला टेस्ट शतक था और उन्होंने उसे सीधे तिहरे शतक में बदल दिया। यह पारी 13 घंटे से ज्यादा समय तक चली, जो आज भी रिकॉर्डों में दर्ज है। उस समय वे टेस्ट में तिहरा शतक लगाने वाले पहले कप्तान बने थे। ये रिकॉर्ड 61 साल तक बना रहा, जिसे 2025 में दक्षिण अफ्रीका के वियान मुल्डर ने तोड़ा।

क्रिकेट छोड़ने के बाद सिम्पसन ने कोचिंग की दुनिया में कदम रखा। 1986 से 1996 तक वे ऑस्ट्रेलिया के पहले पूर्णकालिक कोच रहे। इस दौरान उन्होंने कई नए खिलाड़ियों को तैयार किया जो आगे चलकर दिग्गज बने। उनके समय में ऑस्ट्रेलिया ने 1987 में पहला वनडे वर्ल्ड कप जीता और 1995 में वेस्ट इंडीज को हराकर फ्रैंक वॉरेल ट्रॉफी भी हासिल की, जो 17 साल बाद टीम के पास लौटी।

सिम्पसन का क्रिकेट से जुड़ाव सिर्फ ऑस्ट्रेलिया तक ही सीमित नहीं रहा। 1990 के दशक में वे भारतीय क्रिकेट टीम के सलाहकार भी रहे और बाद में राजस्थान की रणजी टीम के साथ भी उन्होंने थोड़े समय तक काम किया। वे क्रिकेट को गहराई से समझते थे और खेल के हर पहलू पर उनकी पकड़ मजबूत थी।

एक और खास बात ये रही कि क्रिकेट इतिहास में जो दो टेस्ट मैच टाई हुए हैं, उनमें सिम्पसन दोनों बार जुड़े रहे। 1960 में बतौर खिलाड़ी वेस्ट इंडीज के खिलाफ और 1986 में भारत के खिलाफ बतौर कोच। ये एक संयोग भी है और उनकी लंबी क्रिकेट यात्रा का सबूत भी।

उनकी कड़ी मेहनत और क्रिकेट के प्रति समर्पण के लिए उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया। 2006 में उन्हें ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया और 2013 में ICC हॉल ऑफ फेम में भी जगह मिली।

उनके निधन पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी गहरा दुख जताया और सोशल मीडिया पर लिखा कि सिम्पसन का क्रिकेट के लिए योगदान कई पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। वे एक ऐसे इंसान थे जो हर भूमिका में उत्कृष्ट रहे – खिलाड़ी, कप्तान और कोच के रूप में।

बॉब सिम्पसन का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर किसी काम के प्रति सच्ची लगन और मेहनत हो, तो उम्र और हालात कभी आड़े नहीं आते। उन्होंने हर मोड़ पर ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट को संबल दिया और आज जो ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की चमक है, उसमें उनका बहुत बड़ा हाथ है। उनका जाना खेल जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी उपलब्धियां हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।

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