Sunil Gavaskar Big Statement: South Africa के खिलाफ Kolkata में खेले गए पहले टेस्ट में भारत का खेल ऐसा रहा, जो टीम की छवि के बिल्कुल उलट था। दोनों पारियों में भारतीय बल्लेबाज़ों का हाल लगभग एक जैसा रहा पूरी लाइन-अप बिना किसी 50 के ढेर हो गया । पिच को लेकर खूब बातें हुईं, कई लोगों को विकेट बेहद मुश्किल लगा, पर Sunil Gavaskar का नजरिया इसके उलट था। उनके मुताबिक असली दिक्कत खिलाड़ियों की क्वालिटी नहीं, बल्कि घरेलू विकेटों पर अनुभव की कमी है।
Sportstar में Sunil Gavaskar लिखा था–

“South Africa से मिली हार उम्मीद है कि उन लोगों की आंखें खोलेगी, जिन्हें घरेलू क्रिकेट के भारी रन बनाने वाले खिलाड़ियों को देखना चाहिए। इंटरनेशनल खिलाड़ी बाहर इतना खेलते हैं कि घरेलू पिचों की तैयारी नहीं होती और मुश्किल में पड़ जाते हैं।”यही वजह है कि सरफराज खान और करुण नायर जैसे नाम जिन्होंने अपने प्रदर्शन से पहले टीम इंडिया की दहलीज तक दस्तक दी थी वेस्टइंडीज दौरे और मौजूदा South Africa सीरीज़, दोनों में नजर नहीं आए।
Sunil Gavaskar Big Statement: टेस्ट खेलना ईगो से नहीं, धैर्य से होता है

Sunil Gavaskar ने साफ कहा कि मौजूदा स्क्वाड में ऐसे खिलाड़ी कम हैं जो भारतीय पिचों पर टेस्ट की मांगों के साथ ढल पाएं। उन्हें लगता है कि अनुभव और धैर्य की कमी वजह है कि बल्लेबाज़ दबाव झेल नहीं पाए। इसलिए उन्होंने BCCI को सुझाव दिया कि चयन का तरीका बदला जाना चाहिए।
उन्होंने टेस्ट क्रिकेट की असल जरूरत को समझाते हुए लिखा:
“टेस्ट बल्लेबाज़ी धैर्य मांगती है और उससे भी ज्यादा जरूरत होती है अपना ईगो ड्रेसिंग रूम में छोड़कर आने की। आपको बीट होना पड़े तो हों, पैर पर गेंद लगे तो लगे हर गेंद पर अपनी ताकत दिखाना जरूरी नहीं है। असली बॉस वही है जो विनम्र रहता है और यह मानता है कि गेंदबाज़ आपको हराएगा। धैर्य रखकर सही गेंद का इंतज़ार करना ही टेस्ट की कुंजी है।”
गवास्कर के शब्दों का मतलब साफ है भारतीय बल्लेबाज़ों को घर की पिचों पर खेलने का तरीका ही नए सिरे से सीखना पड़ेगा।
Gautam Gambhir को Sunil Gavaskar का message: पार्ट-टाइम ऑलराउंडरों पर भरोसा बंद करें, फॉर्मैट की जरूरतें अलग हैं

गवास्कर ने सिर्फ बल्लेबाज़ी नहीं, बल्कि टीम की कॉम्बिनेशन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कोच Gautam Gambhir को साफ संदेश दिया कि पार्ट-टाइम ऑलराउंडरों पर ज्यादा निर्भर रहना टेस्ट क्रिकेट में टीम की कमजोरी बन सकता है।
उन्होंने कहा: “भारत को टेस्ट ऑलराउंडर और लिमिटेड-ओवर्स ऑलराउंडर का अंतर समझना होगा। असली टेस्ट ऑलराउंडर वही है जो सिर्फ बल्लेबाज़ या सिर्फ गेंदबाज़ के रूप में भी टीम में जगह बना सके। जो खिलाड़ी बस कुछ रन या कुछ ओवर दे सके, वह टेस्ट में असली मूल्य नहीं जोड़ता।”
उन्होंने यह भी लिखा कि ऐसे खिलाड़ी चुनना जो एक लेवल पर फुल-टाइम बैटर या फुल-टाइम बॉलर के रूप में फिट नहीं बैठते, सिर्फ थोड़े समय के लिए काम आएगा, लेकिन बड़े लक्ष्य पूरे नहीं होंगे।
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