Shubman Gill, Virat Kohli की तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं…बोले पूर्व भारतीय स्टार

By Anjali Maikhuri

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भारत और इंग्लैंड के बीच मैनचेस्टर में होने वाले चौथे टेस्ट मैच में सबकी निगाहें Shubman Gill पर होंगी। यह मुकाबला एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का चौथा टेस्ट है, और भारत के लिए यह मैच सीरीज में बने रहने के लिए बेहद जरूरी है। पहले टेस्ट में लीड्स में हारने के बाद टीम इंडिया ने बर्मिंघम में शानदार वापसी की, जहां कप्तान शुबमन गिल ने दोहरा शतक और फिर एक शतक जड़कर सबको चौंका दिया। लेकिन तीसरे टेस्ट में लॉर्ड्स पर टीम 22 रन से हार गई। इस मैच के दौरान एक और चीज़ सुर्खियों में रही—गिल का आक्रामक रिएक्शन जब ज़ैक क्रॉली और बेन डकेट तीसरे दिन समय बर्बाद कर रहे थे।

पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने गिल के इस व्यवहार की आलोचना की है। उनका कहना है कि गिल, विराट कोहली की तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह उनके खेल के लिए नुकसानदायक हो सकता है। विराट कोहली अपने आक्रामक रवैये के लिए जाने जाते थे, लेकिन गिल की शांत और संयमित छवि रही है।

मनोज तिवारी ने एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे नहीं लगता कि गिल को विराट जैसा बनने की ज़रूरत है। गिल एक अलग तरह के खिलाड़ी हैं, और उन्हें अपने स्टाइल में ही कप्तानी करनी चाहिए। आईपीएल में कप्तानी करने के बाद से उनका रवैया बदला है। वह अब ज्यादा आक्रामक दिखते हैं, और अंपायर्स से लगातार बहस करते हैं, जो पहले उनके व्यवहार में नहीं था।”

Manoj Tiwary

तिवारी का मानना है कि कप्तानी का मतलब यह नहीं कि हर समय गुस्से में रहो या हर चीज़ का जवाब दिया जाए। उन्होंने कहा, “आक्रामकता कई तरीकों से दिखाई जा सकती है। मैच जीतकर भी आप बता सकते हैं कि आप कितने मजबूत कप्तान हैं। जरूरी नहीं कि आप हर बात का जवाब मैदान पर शब्दों से दें।”

एक और मुद्दा जो उन्होंने उठाया, वह था खिलाड़ियों की भाषा। तिवारी ने कहा कि स्टंप माइक के पास जो बातें रिकॉर्ड होती हैं, उनमें गलत शब्द सुनाई देते हैं, जो भारतीय क्रिकेट टीम की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगली पीढ़ी इन खिलाड़ियों को देखकर सीखती है, इसलिए खिलाड़ियों को ज्यादा जिम्मेदारी दिखानी चाहिए।

यह टेस्ट सीरीज शुबमन गिल के लिए पहली है बतौर टेस्ट कप्तान। रोहित शर्मा के रिटायर होने के बाद उन्हें टीम की कमान सौंपी गई है। अब देखना होगा कि वे चौथे टेस्ट में टीम को जीत दिलाकर आलोचकों का जवाब अपने खेल से दे पाते हैं या नहीं।