शिखर धवन, जो पिछले 10–15 सालों में भारत के सबसे शानदार ओपनिंग बल्लेबाज़ों में से एक माने जाते हैं, टीम इंडिया से बिना शोर-शराबे के बाहर हो गए। उन्होंने सफेद गेंद वाले क्रिकेट में लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन 2020 के बाद धीरे-धीरे टीम से बाहर कर दिए गए। टेस्ट टीम से तो वो 2018 में ही हट गए थे, लेकिन फिर वनडे और टी20 में भी उनका नाम आना बंद हो गया।हाल ही में एक इंटरव्यू में शिखर धवन ने अपनी टीम से विदाई को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि उन्हें पहले से ही अंदाजा हो गया था कि उन्हें 2021 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना जाएगा। लेकिन उन्होंने किसी से इस बारे में न सवाल किया और न ही कोई सफाई मांगी। उनका मानना था कि जब कुछ होना ही नहीं है, तो पूछने का भी कोई फायदा नहीं।
धवन ने कहा, “मुझे लग गया था कि मेरा नाम नहीं आने वाला। ऐसा नहीं है कि हर चीज़ में कोई आपको बता कर ही चलेगा। मैंने किसी को कॉल नहीं किया, न ही पूछा कि मेरा नाम क्यों नहीं आया। पूछ भी लेता तो उनका अलग नजरिया होता और मेरा अलग। उससे कुछ बदलने वाला नहीं था।”वनडे की बात करें, तो 2023 में भारत में हुए वर्ल्ड कप के लिए भी धवन को नहीं चुना गया। उस समय विराट कोहली और रोहित शर्मा टीम में शामिल थे, लेकिन धवन को नहीं बुलाया गया। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें और बेहतर विदाई मिलनी चाहिए थी, तो उन्होंने सीधे कहा कि उस समय शुभमन गिल का प्रदर्शन बहुत शानदार था, और ऐसे में सेलेक्टर्स को फैसला लेना आसान नहीं था।
धवन ने कहा, “एक तरफ से देखा जाए तो हां, लेकिन दूसरी तरफ उस समय शुभमन गिल टी20 और टेस्ट दोनों में अच्छा खेल रहा था। मैं सिर्फ वनडे खेल रहा था और वो सभी फॉर्मेट में अच्छा कर रहा था। वो कोच और टीम के सामने ज़्यादा आ रहा था, और अपनी जगह खुद बना रहा था।”धवन ने यह भी बताया कि वह लगातार 50 और 70 रन बना रहे थे, लेकिन शतक नहीं आ रहे थे। जब उन्होंने ईशान किशन को वनडे में दोहरा शतक बनाते देखा, तो उन्हें समझ आ गया कि अब उनका करियर खत्म होने की कगार पर है। उन्होंने कहा, “जब ईशान ने 200 मारा, तो अंदर से एक आवाज़ आई कि ये शायद मेरा अंत हो सकता है। और वही हुआ।”
धवन ने यह भी बताया कि जब वह टीम से बाहर हुए, तो उनके कुछ दोस्त उनसे मिलने आए ताकि उन्हें भावनात्मक सहारा मिल सके। लेकिन धवन पूरी तरह शांत थे और उन्होंने इस समय को भी पॉजिटिव तरीके से लिया। उन्होंने कहा, “मेरे दोस्त सोच रहे थे कि मैं टूट गया होऊंगा, लेकिन मैं मस्त था, एंजॉय कर रहा था।”जब पूछा गया कि क्या किसी साथी खिलाड़ी ने उनसे संपर्क किया, तो धवन ने बताया कि केवल राहुल द्रविड़ ने उन्हें मैसेज किया था। उन्होंने कहा, “हर किसी की अपनी ज़िंदगी और सफर होता है। सभी व्यस्त होते हैं, यह बहुत नॉर्मल है। हम तो अंडर-14 से इस सबके आदी हैं। पहली बार नहीं है कि टीम से बाहर हुआ हूं।”शिखर धवन की यह सफरभरी कहानी इस बात को दिखाती है कि कैसे एक खिलाड़ी अपने करियर के उतार-चढ़ाव को शांति और समझदारी से ले सकता है। उन्होंने न कोई शिकायत की, न कोई सवाल, बस खेल और जिंदगी को स्वीकार किया जैसे वह आई।