वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले संभावित मुकाबलों को लेकर जहां हर कोई उत्साहित है, वहीं टीम इंडिया के पूर्व ओपनर शिखर धवन का रवैया थोड़ा अलग नजर आ रहा है। धवन पहले भी साफ कर चुके हैं कि वो इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी मुकाबला नहीं खेलेंगे, चाहे वो लीग मैच हो या सेमीफाइनल या फाइनल।
हाल ही में जब एक रिपोर्टर ने उनसे फिर से यही सवाल पूछा कि अगर भारत और पाकिस्तान सेमीफाइनल में आमने-सामने होते हैं तो क्या वो उस मैच में खेलेंगे, तो धवन नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा, “ये सवाल आपने गलत वक्त और गलत जगह पूछा है। ये सवाल पूछा ही नहीं जाना चाहिए था। और अगर मैंने पहले नहीं खेला, तो अब भी नहीं खेलूंगा।”
शिखर धवन की तरफ से पहले ही एक बयान जारी कर दिया गया था, जिसमें उन्होंने साफ लिखा था कि वो किसी भी हालत में पाकिस्तान के खिलाफ मैच नहीं खेलेंगे। उनके मुताबिक, यह फैसला उन्होंने पहले ही टीम मैनेजमेंट को फोन और मैसेज के ज़रिए 11 मई 2025 को बता दिया था। उस बयान में साफ लिखा था कि चाहे मुकाबला लीग का हो, सेमीफाइनल हो या फाइनल — उनका निर्णय वही रहेगा।
उनके साथ ही कई और सीनियर खिलाड़ी जैसे युवराज सिंह, हरभजन सिंह और इरफान पठान ने भी पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलने से मना कर दिया था। इसके चलते लीग स्टेज का भारत-पाकिस्तान मैच रद्द कर दिया गया था।
वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स की ओर से भारत-पाक मैच को शेड्यूल करने पर माफ़ी भी मांगी गई। टूर्नामेंट आयोजकों ने कहा कि उनका इरादा सिर्फ दर्शकों को अच्छा क्रिकेट दिखाने का था, लेकिन शायद उन्होंने लोगों की भावनाओं को समझने में गलती कर दी। खासकर हाल ही में हुई पहलगाम की घटना के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच खेल को लेकर लोगों की भावनाएं बहुत संवेदनशील हो गई थीं।
WCL की ओर से आए बयान में कहा गया, “हमने हाल ही में भारत में पाकिस्तान की हॉकी टीम को आते देखा, वॉलीबॉल मैच भी हुआ और कुछ अन्य खेलों में दोनों देशों ने हिस्सा लिया। हमें लगा कि क्रिकेट के जरिए कुछ अच्छे पल दिए जा सकते हैं। लेकिन हो सकता है कि हमारी इस कोशिश से कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुई हों। इसके लिए हम माफ़ी चाहते हैं।”
शिखर धवन के इस फैसले पर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे खेल और राजनीति को मिलाने जैसा मान रहे हैं। मगर धवन का कहना है कि उनके लिए यह भावनात्मक मुद्दा है और वो अपने फैसले पर अडिग रहेंगे। उनका मानना है कि खिलाड़ियों को अपने देश और लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
धवन ने यह भी साफ किया कि वह किसी व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीति की वजह से यह फैसला नहीं ले रहे हैं, बल्कि उनका यह स्टैंड पूरी तरह भावनात्मक है और वो इसके पीछे मजबूती से खड़े हैं।
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि अगर भारत और पाकिस्तान सेमीफाइनल में आमने-सामने आते हैं, तो टीम इंडिया किन खिलाड़ियों को उतारेगी। शिखर धवन जैसे अनुभवी खिलाड़ी का न होना टीम की रणनीति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, टूर्नामेंट का मकसद सिर्फ खेल से जुड़ा हुआ था, लेकिन अब यह मामला भावनाओं और सिद्धांतों से भी जुड़ गया है।