Robin Uthappa Statement: South Africa से मिली हार के बाद भारतीय टेस्ट खिलाड़ी और भारतीय Head Coach Gautam Gambhir की कड़ी आलोचना की जा रही है इस बीच पूर्व भारतीय खिलाड़ी और गौतम गंभीर के KKR के साथी Robin Uthappa ने गौतम गंभीर का समर्थन किया है।
भारत और साउथ अफ्रीका टेस्ट के बाद सबसे ज़्यादा चर्चा इसी बात की हो रही है कि आख़िर Eden Gardens की पिच में क्या ख़राबी थी। भारत तीसरे दिन 124 रन का छोटा सा Target भी हासिल नहीं कर पाया और टीम की बल्लेबाज़ी साउथ अफ्रीका के स्पिनर्स के सामने ढेर गई। इसी के बाद कई लोग पिच पर उंगली उठाने लगे। कुछ पूर्व खिलाड़ियों का मानना था कि भारतीय टीम मैनेजमेंट ने ठीक पिच नहीं चुनी।
टीम के कोच Gautam Gambhir ने साफ कहा कि उन्हें वही पिच मिली थी जो टीम चाहती थी और उनके मुताबिक विकेट खेलने लायक था, उसमें कोई ऐसी चीज़ नहीं थी जो बल्लेबाज़ों को डराए या असहज करे। लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों के जल्दी आउट हो जाने से साउथ अफ्रीका ने 2010 के बाद पहली बार भारत में टेस्ट मैच जीता, जो अपने आप में एक बड़ी बात है।
Robin Uthappa Statement: Harbhajan Singh का आरोप और Robin Uthappa की साफ राय

पूर्व खिलाड़ी Harbhajan Singh ने पिच के चयन पर नाराज़गी जताई और इसे हार की वजह बताया। वहीं, Robin Uthappa का कहना है कि इस हार के लिए Gautam Gambhir को दोष देना बिल्कुल ठीक नहीं है। उन्होंने एक लाइव सेशन में कहा कि कुछ लोग सोच रहे हैं कि वह Gautam गंभीर का बचाव कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उथप्पा ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि कोच अंदर जाकर खेलने तो नहीं वाला, मैदान में उतरकर रन बनाने का काम तो खिलाड़ियों का ही है।
उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सिर्फ नतीजों को देखकर कोच को जिम्मेदार ठहराना किसी भी तरीके से सही नहीं है। उनकी नज़र में जब लोगों ने Rahul Dravid की आलोचना की थी, वो भी बेवजह था। द्रविड़ जैसे खिलाड़ी ने 20 से 30 हजार अंतरराष्ट्रीय रन बनाए हैं, जो आसान बात नहीं है। अगर इतने बड़े खिलाड़ी को भी ट्रोल किया जा सकता है, तो फिर कोई भी इस चीज़ से बच नहीं सकता।
Robin Uthappa Statement: घरेलू क्रिकेट की पिचों और खिलाड़ियों की तैयारी पर बड़ी बहस

उथप्पा ने एक अहम मुद्दा उठाया उन्होंने कहा कि घरेलू क्रिकेट में खराब पिच होने पर कार्रवाई की जाती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मैचों में ऐसी सख्ती दिखाई नहीं देती। उनके मुताबिक पहले तटस्थ क्यूरेटर बुलाए जाते थे ताकि पिचें ठीक बनें। अगर कोई मैच दो दिन में खत्म हो जाता था तो ग्राउंड्समैन और एसोसिएशन को फटकार मिलती थी। लेकिन अब तो टेस्ट मैच ढाई दिन में खत्म हो रहे हैं और फिर भी ऐसी पिचें घरेलू स्तर पर मंज़ूर नहीं की जातीं।
उन्होंने कहा कि घरेलू क्रिकेट में स्पिन फ्रेंडली पिचें तैयार करने को बढ़ावा नहीं दिया जाता। अगर कोई धीरे-धीरे टर्न लेने वाली पिच बनाई जाए, जिसमें तीसरे और चौथे दिन ज्यादा स्पिन मिले, तो इससे बल्लेबाज़ बेहतर तरीके से स्पिन खेलने में सक्षम बन सकते हैं। लेकिन पिछले करीब दस साल से ऐसी पिचें तैयार करने से मना किया जाता रहा है। फिर सवाल यह उठता है कि खिलाड़ी स्पिन को कैसे खेलेंगे, जब उन्हें घरेलू स्तर पर उन हालातों में खेलने का मौका ही नहीं दिया जाता?
उथप्पा का कहना है कि जब अभ्यास ही ऐसी परिस्थितियों में नहीं मिलेगा, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसी तरह की पिचों पर संघर्ष होना बिल्कुल आम बात है। उन्होंने जोर देकर कहा कि खिलाड़ियों को दोष देने से बेहतर है कि घरेलू ढांचे में सुधार किया जाए ताकि बल्लेबाज़ मजबूत तकनीक के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पिनर का सामना कर सकें।






