भारत के टेस्ट उप-कप्तान ऋषभ पंत इंग्लैंड के खिलाफ चल रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, बल्कि अपनी आदतों से भी चर्चा में हैं। स्टंप‑माइक पर उनकी आत्म‑बातचीत अक्सर सुनी जा चुकी है, जिससे पता चलता है कि वे मैदान पर किस तरह से खुद को कोच कर रहे हैं।
लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा, “स्टंप‑माइक पर आपकी आवाज़ ज़्यादा आ रही है – क्या आपने बोलने का तरीका बदला है या माइक ज़्यादा संवेदनशील हो गया है?” पंत ने खुलकर इसका जवाब दिया और कहा कि मैदान पर खुद से बात करना बचपन से उनकी आदत है ।
Pant ने बताया कि उनके कोच रहे तारक सिन्हा ने ही उन्हें बचपन में यह आदत डालने को प्रेरित किया था। वे कहते थे, ‘बोलते रहो, बताते रहो अपनी गलतियों को, अपने आप को सुधारने की कोशिश करो’। तब से पंत यही करते आ रहे हैं और यह अभ्यास उन्हें आत्म‑विश्वास देता है।
लीड्स और बर्मिंघम में उनकी बल्लेबाज़ी के दौरान स्टंप‑माइक पर यह आत्म‑संवाद रिकॉर्ड हुआ था। बर्मिंघम टेस्ट की दूसरी पारी में, पंत खुद से कहते सुने गए:
“जबरदस्ती ऐसे ट्राई कर रहे हैं… तेज़ बॉल है, seedha लगाओ”।
यह आत्म‑सुधार की आवाज़ थी, जिसमें वे खुद को शांत रहने और ज़्यादा जोखिम न लेने का सुझाव दे रहे थे।
इस सीरीज में पंत के बल्ले ने भी कमाल दिखाया है। दो शतक और एक अर्धशतक के साथ वे अब तक 342 रन बना चुके हैं, जो उन्हें रन‑चार्ट में तीसरे स्थान पर ले जाता है—केवल कप्तान शुभमन गिल (585) और इंग्लैंड के हैरी ब्रुक (356) से पीछे।
जब उनसे पूछा गया कि जोफ्रा आर्चर जैसे तेज़ गेंदबाज के वापस आने को वे कैसे देखते हैं, तो पंत ने कहा कि उन्हें यह चुनौती पसंद है। वे मैदान पर 200% देने की कोशिश करेंगे, किसी खास खिलाड़ी की वजह से नहीं—बल्कि यह एक अच्छा मुकाबला रहेगा।
टीम चयन को लेकर भी उन्होंने साफ़ कहा कि अंतिम फैसला पिच की हालत पर निर्भर करेगा। यह देखने के बाद चुना जाएगा कि टीम में तीन स्पिनर होंगे या चार—जो भी रणनीति सबसे सही लगेगी।
बातचीत को संक्षेप में देखें तो, ऋषभ पंत का आत्म‑संवाद किसी संयोग या ड्रामा की वजह से नहीं, बल्कि रणनीति और खुद‑पड़ताल की आदत है। तारक सिन्हा की सीख से प्रेरित पंत मैदान पर खुद को कोच की तरह टिप्स देते हैं, सतर्क रहते हुए सोच-विचार कर बल्लेबाज़ी करते हैं।
उनकी यह शैली, स्टंप‑माइक से साफ सुनाई देती है, और कई बार वायरल भी हो चुकी है। लेकिन यह तरीका उन्हें मैनेंजमेंट, फोकस और आत्म‑सुधार की मानसिकता देता है।
इस सीरीज में पंत ने गेंदबाज़ी के सामने आत्म‑विश्वास और मानसिक संतुलन के साथ खेल दिखाया है। चाहे वह जोफ्रा आर्चर का सामना हो या पिच की अड़चने, पंत ने बताया कि अंदर से मजबूत रहना और खुद से बात करना ही उन्हें बेहतर बनाता है।