बोरीवली से लेकर Ravindra Gopinath Sant का लॉर्ड्स तक का सफर

बोरीवली से लॉर्ड्स तक: रविंद्र गोपीनाथ संत की प्रेरणादायक यात्रा
Ravindra Gopinath Sant
बोरीवली से लॉर्ड्स तक: रविंद्र गोपीनाथ संत की प्रेरणादायक यात्राSource : Social Media
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"एक सपना... जो मुश्किलों के बीच भी जिंदा रहा। एक हौसला... जो हर ठोकर पर और मजबूत होता गया। और आज वही सपना, वही हौसला इतिहास लिखने जा रहा है।" यह कहानी न गरीब परिवार की है न गरीबी के संघर्ष की है और न ही उस जज्बात की जो हम अक्सर देखते आए है यह कहानी है एक ऐसे खिलाड़ी की जो न जज्बे से हारा न हिम्मत हारा और न ही उम्मीद छोड़ी। हम बात कर रहे है रवींद्र गोपीनाथ संते की जिनको शायद बहुत कम लोग जानते हो या न भी जानते हो।

बता दें मुंबई के डोंबिवली से उठकर इंग्लैंड के लॉर्ड्स तक का ये सफर किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। बचपन में हुए एक हादसे ने रवींद्र गोपीनाथ संते के शरीर को भले चुनौती दी हो, लेकिन उनके इरादों को कभी नहीं हिला पाया। आज वही रवींद्र भारत की मिक्स्ड डिसेबिलिटी क्रिकेट टीम के कप्तान बनकर मैदान में उतरने को तैयार हैं। सात मैचों की इस T20 सीरीज में भारत और इंग्लैंड आमने-सामने होंगे। लेकिन दुनिया की निगाहें उस शख्स पर होंगी जिसने अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना दिया। लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था।

रवींद्र के संघर्ष की कहानी महज 6 महीने की उम्र से शुरू होती है। दो गलत इंजेक्शन, और उनके दाहिने हाथ को लकवा मार गया। किसी के लिए भी ये जिंदगी थम जाने जैसा होता, लेकिन रवींद्र के हौसले के सामने ये बीमारी छोटी साबित हो गई। उनका सपना था। क्रिकेटर बनने का। और इसके लिए उन्होंने वो कर दिखाया जो शायद कोई सोच भी न पाए। डोंबिवली से विरार तक रोज लोकल ट्रेन से 116 किलोमीटर का सफर करना। सुबह ट्रेन पकड़ना, साईनाथ क्रिकेट क्लब विरार में घंटों पसीना बहाना और फिर उसी ट्रेन से घर वापसी।

इस संघर्ष में उन्हें साथ मिला इंडिया की मिक्स्ड डिसेबिलिटी टीम के फील्डिंग कोच रवींद्र पाटिल का। पाटिल सर ने न सिर्फ उन्हें ट्रेन किया बल्कि हर मोड़ पर हौसला बढ़ाया। हर दिन की ट्रेनिंग के साथ रवींद्र खुद को मजबूत बनाते गए। रवींद्र अपने सफर को याद करते हुए कहते है "मैंने केवी पेंढारकर कॉलेज की ओर से लेदर बॉल क्रिकेट खेलना शुरू किया था। एक कॉलेज मैच में अर्धशतक मारा और वहीं से क्रिकेट का असली सफर शुरू हुआ," उन्हें इस बात का भी बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि डिसेबिलिटी क्रिकेट जैसा कोई प्लेटफॉर्म भी है। लेकिन एक दिन, एक लोकल एग्जीबिशन मैच ने उनकी जिंदगी बदल दी। वहीं उनकी मुलाकात हुई रवींद्र पाटिल सर से।

रवींद्र के हौसले को सबसे बड़ा सहारा मिला भारत के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह से। उन्होंने कहा "जब मैंने युवराज सर को कैंसर जैसी बीमारी से लड़कर वापसी करते देखा, तो मुझे यकीन हो गया कि मैं भी अपने संघर्ष को हराकर आगे बढ़ सकता हूं।" और वो आगे बढ़े भी। महाराष्ट्र टीम से होते हुए अब वह टीम इंडिया के कप्तान बन चुके हैं। 1 जुलाई को ब्रिस्टल में भारत का डबल हेडर मुकाबला होगा। जहां इंडियन महिला टीम के खिलाफ भी उन्हें खेलना है। भारत में इस ऐतिहासिक सीरीज को सोनी लिव पर लाइव देखा जा सकेगा।

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