गौतम गंभीर की कोचिंग पर उठे सवाल: खिलाड़ियों के साथ पक्षपात या रणनीति का हिस्सा?

पूर्व खिलाड़ियों ने गंभीर की चयन नीति और कोचिंग स्टाइल पर उठाए सवाल
Gautam Gambhir
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भारतीय क्रिकेट टीम के कोच बने गौतम गंभीर को इस पद पर आए अभी कुछ ही समय हुआ है, लेकिन इस थोड़े से समय में ही उन्होंने काफी सुर्खियाँ बटोरी हैं। जुलाई 2024 में जब उन्होंने टीम इंडिया की कमान बतौर कोच संभाली, तब से अब तक उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। शुरुआत में टीम का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज़ में भारत ने 2-2 से बराबरी कर ली, जो कुछ हद तक राहत भरी खबर रही।

हालाँकि, इस सीरीज़ को लेकर भी सबकी राय एक जैसी नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के खिलाफ ड्रॉ करना बड़ी बात है, जबकि कुछ पूर्व क्रिकेटरों को लगता है कि यह कोई खास उपलब्धि नहीं है। उनका कहना है कि पहले के मुकाबले अब टीम का प्रदर्शन गिरा है, इसलिए इस ड्रॉ को लेकर इतना उत्साहित होना ठीक नहीं है।

पूर्व भारतीय ओपनर सद्गोप्पन रमेश ने गौतम गंभीर की कोचिंग को लेकर कुछ तीखे सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गंभीर उन खिलाड़ियों को ही मौका देते हैं, जिनसे उन्हें निजी तौर पर लगाव है और जिन खिलाड़ियों से नहीं है, उन्हें पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर देते हैं। उन्होंने कहा कि "He backs the players he likes but completely lets go of those he doesn't." रमेश के अनुसार, जो खिलाड़ी फॉर्म में होते हैं, उन्हें उसी समय सपोर्ट मिलना चाहिए, ताकि वे और बेहतर प्रदर्शन कर सकें। अगर खिलाड़ी का आत्मविश्वास और फॉर्म अच्छा है, तो उसे टीम से बाहर रखना समझ से बाहर है।

रमेश का मानना है कि शृेयस अय्यर और यशस्वी जैसवाल जैसे खिलाड़ियों को एशिया कप के लिए टीम में चुना जाना चाहिए था। उनके हिसाब से शृेयस अय्यर ने चैंपियंस ट्रॉफी में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और टीम की जीत में उनका बड़ा योगदान रहा था। फिर भी गंभीर उन्हें टीम में जगह नहीं दे रहे हैं, जो एक गलत फैसला हो सकता है। यशस्वी जैसवाल के बारे में भी उनका कहना है कि वह एक एक्स-फैक्टर खिलाड़ी हैं, जिन्हें हर फॉर्मेट में खेलने का मौका मिलना चाहिए। उन्हें सिर्फ स्टैंडबाय में रखना एक कमज़ोर फैसला है।

रमेश ने यह भी कहा कि "Shreyas Iyer produced incredible performances in the same UAE in the Champions Trophy and should be a permanent fixture in India's white-ball teams. Players need to be backed when they are high on confidence and in form and not when they fade away and lack confidence. This is the ideal time to reap the rewards of Iyer's sky-high confidence and form."

गंभीर की टीम चयन नीति पर और भी कई पूर्व खिलाड़ियों ने सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि गंभीर का तरीका कुछ मामलों में ज़्यादा सख्त और व्यक्तिगत पसंद पर आधारित लगता है। कोच के रूप में उन्हें सभी खिलाड़ियों के साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए और हर खिलाड़ी को उसके प्रदर्शन के आधार पर परखा जाना चाहिए, न कि पसंद या नापसंद के आधार पर।

जब टीम के अंदर ये भावना बनती है कि कुछ खिलाड़ियों को ज़्यादा तवज्जो मिल रही है और कुछ को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, तो इससे टीम के माहौल पर बुरा असर पड़ता है। टीम स्पिरिट कमजोर पड़ती है और खिलाड़ी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। एक कोच का सबसे बड़ा काम होता है हर खिलाड़ी का मनोबल बढ़ाना, चाहे वो सीनियर हो या जूनियर।

गौतम गंभीर एक तेज़-तर्रार खिलाड़ी रहे हैं और उनका नजरिया हमेशा आक्रामक रहा है। बतौर कोच, उन्हें शायद अभी खुद को थोड़ा संतुलित करने की ज़रूरत है। खिलाड़ियों को समझना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना और उन्हें मौके देना – ये सब एक अच्छे कोच की पहचान होती है। अगर वह केवल कुछ खिलाड़ियों पर ध्यान देंगे और बाकी को नज़रअंदाज़ करेंगे, तो लंबे समय में इसका असर टीम के प्रदर्शन पर भी पड़ेगा।

फिलहाल टीम इंडिया को कई बड़े टूर्नामेंट्स खेलने हैं और ऐसे में टीम संयोजन और खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बेहद ज़रूरी होगा। गौतम गंभीर के पास अब भी समय है खुद को साबित करने का। उन्हें खिलाड़ियों के साथ एक भरोसेमंद रिश्ता बनाना होगा और सही समय पर सही फैसले लेने होंगे।

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