
2 जुलाई से भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में खेला जाएगा। पहला मैच हारने के बाद भारत सीरीज में 0-1 से पीछे है, और अब हर मुकाबला करो या मरो जैसा हो गया है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती सिर्फ इंग्लैंड की टीम नहीं, बल्कि एजबेस्टन का इतिहास है – जहां भारत आज तक एक भी टेस्ट नहीं जीत सका। पहले टेस्ट की हार चुभने वाली थी। क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ जब कोई टीम पांच शतक लगाने के बावजूद मैच हार गई। यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, ऋषभ पंत और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी शतक ठोकते गए, लेकिन निचले क्रम की कमजोरी ने सब बर्बाद कर दिया। एक समय जब लग रहा था भारत 600 के पार जाएगा, वहीं आखिरी 7 विकेट पहली पारी में 41 और दूसरी में सिर्फ 31 रन पर गिर गए।
गेंदबाजी की हालत भी बुरी रही। जसप्रीत बुमराह ने पहली पारी में 5 विकेट लेकर भारत को मैच में बनाए रखा, लेकिन दूसरी पारी में वो भी खाली हाथ रह गए। और जो सबसे बड़ा सच सामने आया, वो था। टीम इंडिया जसप्रीत बुमराह पर बहुत ज़्यादा निर्भर हो गई है। बुमराह ने भी पहले ही कह दिया था कि वह पूरी सीरीज में सिर्फ 3 टेस्ट खेलेंगे। ऐसे में अगर बर्मिंघम में वो नहीं खेलते हैं, तो गेंदबाजी की कमर टूट सकती है। इसी बीच भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन का बयान सामने आया। जिसमें उन्होंने कहा कि अब वक्त है कुछ अलग करने का। उनका साफ मानना है कि भारत को कुलदीप यादव को मौका देना चाहिए। और वजह भी है। एजबेस्टन की पिच सूखी रह सकती है, और वहां स्पिन को अच्छी मदद मिलने की उम्मीद है। कुलदीप यादव इस समय शानदार फॉर्म में हैं, और ऐसे विकेट पर उनकी ‘कलाई की जादूगरी’ इंग्लिश बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बन सकती है।
बुमराह अगर खेलते हैं, तब भी कुलदीप को शामिल करने की सोचनी चाहिए, क्योंकि टीम को सिर्फ तेज गेंदबाजी से नहीं, विविधता से भी जीत मिलती है। वरना फिर वही कहानी दोहराई जाएगी। नई गेंद से थोड़ी उम्मीद, फिर धीरे-धीरे मैच हाथ से फिसलता हुआ। पहले टेस्ट में जो झटके लगे – वो सिर्फ बैटिंग या बॉलिंग तक सीमित नहीं थे। फील्डिंग ने तो हद पार कर दी। अकेले यशस्वी जायसवाल ने 4 कैच छोड़े। अब अगर आप इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ ऐसे मौके गंवाएंगे, तो फिर जीत की उम्मीद करना सिर्फ सपना रह जाएगा।