IND और PAK के मुकाबले की Fans की Call पर BCCI Official ने दिया Reality Check

By Anjali Maikhuri

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IND-PAK Controversy

IND-PAK Controversy: पिछले महीने Asia Cup के दौरान IND vs PAK के बीच जो घटनाएँ हुईं, उन्होंने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या इन मुकाबलों को कम या बंद कर देना चाहिए। टूर्नामेंट का फाइनल 28 सितंबर को हुआ, लेकिन भारतीय टीम ने वह ट्रॉफी नहीं उठा पाई। वजह ये थी कि उन्होंने पाकिस्तान के इंटीरियर मिनिस्टर और एशियाई क्रिकेट काउंसिल (ACC) के प्रमुख मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया। साथ ही, टीम ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से भी मना कर दिया था; यह कदम पाहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों से एकजुटता जताने के लिए उठाया गया। इस टूर्नामेंट में भारत‑पाकिस्तान की टीमें तीन बार मिलीं थीं, जिनमें एक मुकाबला फाइनल का भी थाऔर भारत ने हर बार जीत दर्ज की।

इस सबके बाद, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथर्टन ने सुझाव दिया है कि जब तक ये मुद्दा सुलझता नहीं, ICC को भारत‑पाकिस्तान के बीच और मैच नहीं कराने चाहिए। एथर्टन ने आपत्तियाँ उठाईं कि कैसे क्रिकेट अब सिर्फ खेल नहीं है बल्कि राजनीति और प्रचार का माध्यम बन गया है। उन्होंने लिखा कि आर्थिक हितों के आगे क्रिकेट टूर्नामेंट्स की योजना बनाना सही नहीं है, खासकर जब ये मुकाबले सिर्फ कुछ खास दर्शक‐भवनिक या राजनीतिक दबावों के चलते हो रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले प्रसारण अधिकारों (broadcast rights) के दौर में ये तय होना चाहिए कि मैचों का कार्यक्रम पारदर्शी हो और अगर हर बार ये दो टीमें न भी मिले तो कोई बात नहीं हो।

IND-PAK Controversy: BCCI की प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ

IND-PAK Controversy
IND-PAK Controversy

जब एथर्टन के सुझावों पर BCCI कार्यालयों से प्रतिक्रिया माँगी गई, तो एक BCCI Official ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बातें करना आसान है, पर असली काम करना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि अगर कोई बड़ी टीम किसी टूर्नामेंट से बाहर हो जाए भारत ही क्यों, कोई भी टीम होतो स्पोंसर और ब्रॉडकास्टर उसे स्वीकार नहीं करेंगे।

टूर्नामेंटों में मैचों की संख्या, विज्ञापन अधिकार, और दर्शकों की दिलचस्पी जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि भारत‑पाकिस्तान आमतौर पर सिर्फ बहुपक्षीय टूर्नामेंटों‑ जैसे वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी, एशिया कप आदि‑ में ही मिलता है। 2013 के बाद से इनका कोई द्विपक्षीय सीरीज नहीं हुआ है। तब से दोनों टीमें हर ICC टूर्नामेंट में आमने‑सामने हुई हैं।

IND-PAK Controversy: क्या है सबसे बड़ा सवाल ?

IND VS PAK
IND VS PAK

इस तरह के विवादों के बीच ये सवाल खड़ा होता है कि क्रिकेट के अंदर राजनीति कहाँ तक आ सकती है, और खेल की शुद्धता कैसे बचाई जा सकती है। क्या आर्थिक दखल‑अंदाज से यह संभव है कि मैचों की योजना सिर्फ खेल की भावना पर आधारित हो? क्या टीमों के बीच रिश्तों को सुधारने का कोई तरीका है जिससे दर्शक, खिलाड़ी और प्रशंसक सभी संतुष्ट हों? और क्या ICC और संबंधित बोर्ड्स इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए नियम और पारदर्शिता बढ़ा सकते हैं?

IND VS PAK
IND VS PAK

यह विवाद सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है; यह भावनाओं, राजनीतिक स्थिति और राष्ट्रीय पहचान से भी जुड़ा है। जिसका असर सिर्फ खिलाड़ियों पर नहीं, बल्कि पूरे देश के फैंस और क्रिकेट के भविष्य पर पड़ता है। जब तक इस तरह की स्थितियों को सुलझाने के लिए सभी पक्ष मिलकर काम नहीं करेंगे, ये बहसें बनी रहेंगी और फैसले मुश्किल होंगे।

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