शुभमन गिल ने इंग्लैंड दौरे पर ऐसा प्रदर्शन किया कि हर क्रिकेट प्रेमी का ध्यान उनकी ओर गया। पाँच मैचों की टेस्ट सीरीज़ में उन्होंने कुल 754 रन बनाए। ये सफर आसान नहीं था क्योंकि वे पहली बार इस तरह की सीरीज़ में भारतीय टीम की कप्तानी भी कर रहे थे। ऐसे में ये रन और भी खास बन जाते हैं।
गिल ने आखिरी टेस्ट में ओवल के मैदान पर दो पारियाँ खेलीं, लेकिन दोनों बार वह ज्यादा रन नहीं बना पाए। पहली पारी में उन्होंने 21 रन बनाए और दूसरी में सिर्फ 11 रन। उनकी कोशिशों के बावजूद वो भारत के दिग्गज बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर के पुराने रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए, जिन्होंने 1970-71 में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ 774 रन बनाए थे। गिल उनके इस रिकॉर्ड से सिर्फ 20 रन पीछे रह गए।
हालांकि, खुद सुनील गावस्कर ने शुभमन की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी नज़र में गिल का ये प्रदर्शन उनसे भी बड़ा है। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने रन बनाए थे, तब टीम में उन पर कोई खास दबाव नहीं था। लेकिन गिल को तो कप्तानी भी संभालनी थी और साथ ही बल्ले से जिम्मेदारी भी निभानी थी। गावस्कर ने कहा कि लोगों को सिर्फ 20 रन की कमी नहीं देखनी चाहिए, बल्कि ये देखना चाहिए कि उस खिलाड़ी ने कितनी मुश्किल हालात में ये किया।
शुभमन का ये प्रदर्शन सिर्फ इसलिए खास नहीं है कि उन्होंने इतने रन बनाए, बल्कि इसलिए भी क्योंकि उन्होंने कप्तानी करते हुए ये किया। टेस्ट क्रिकेट में जब आप कप्तान होते हैं, तो आपको हर वक्त मैदान पर फैसले लेने होते हैं। मैच की प्लानिंग करनी होती है, खिलाड़ियों को मोटिवेट रखना होता है और खुद का ध्यान भी रखना होता है। इन सबके बीच अगर कोई इतना बढ़िया खेल दिखाए, तो वो सच में तारीफ के लायक होता है।
शुभमन ने इस सीरीज़ के दौरान जो रन बनाए हैं, वो उन्हें भारत के टॉप टेस्ट बल्लेबाज़ों की लिस्ट में ले आए हैं। इससे पहले गावस्कर, विराट कोहली और यशस्वी जायसवाल जैसे खिलाड़ियों ने भी ऐसी शानदार सीरीज़ खेली हैं। लेकिन गिल की खास बात ये रही कि उन्होंने कप्तानी के साथ ये कर दिखाया।
इतिहास की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज़ डॉन ब्रैडमैन ने एक टेस्ट सीरीज़ में 810 रन बनाए थे, जो अब तक सबसे ज्यादा हैं। शुभमन का नाम अब उनके बाद आता है, जो ये दिखाता है कि उनका भविष्य कितना उज्ज्वल हो सकता है।
गिल ने इस पूरी सीरीज़ में जिस तरह से संयम से खेला, वह उनके खेल को एक नए स्तर पर ले गया है। उन्होंने सिर्फ स्ट्रोक नहीं मारे, बल्कि समय के साथ खुद को मैच की स्थिति में ढाला। यह दिखाता है कि वे सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि एक सोच समझकर खेलने वाले कप्तान भी बन रहे हैं।
शुभमन गिल का यह सफर सिर्फ एक रिकॉर्ड के पास पहुँचने की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस यंग खिलाड़ी की मेहनत, सोच और समझ की कहानी है, जो अब धीरे-धीरे भारत की टेस्ट टीम की रीढ़ बनता जा रहा है। अगर वो ऐसे ही खेलते रहे, तो आने वाले वक्त में वे कई बड़े रिकॉर्ड्स को तोड़ सकते हैं और एक नई मिसाल कायम कर सकते हैं।