
Harbhajan singh Birthday : भारतीय टीम के पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह आज अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं। हरभजन की गिनती दुनिया के बेस्ट स्पिनर में होती हैं। भज्जी जब भारत की तरफ से खेलते थे तब उनके सामने ऑस्ट्रेलिया जैसी खतरनाक टीम के धाकड़ बैट्समैन भी रन बनाने के लिए संघर्ष करते हुए नजर आते थे। हरभजन सिंह के करियर में सबसे यादगार मैच साल 2001 का टेस्ट मैच रहा। भारतीय टीम का एक ऐसा पूर्व स्पिनर, जिसने अपनी स्पिन गेंदबाजी से बड़े-बड़े बल्लेबाजों में अपना खौफ पैदा किया। जिन्होंने विदेश में जाकर अपनी प्रतिभा दिखाई और वह हमेशा ही अपने कप्तान की हर उम्मीद पर खरा उतरा।
HIGHLIGHTS
हरभजन सिंह को भारत के तीनों फॉर्मेट से संन्यास लिए समय भले ही हो गया हो, लेकिन इतिहास के सुनहरे पन्नों में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हैं। हरभजन ने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार भारत के लिए हैट्रिक लेने का कारनामा किया था। 3 जुलाई 1980 को पंजाब के जालंधर में जन्मे 'भज्जी' तेज गेंदबाज बनने के इरादे से क्रिकेट के मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें खुद नहीं पता चला कि वह कब स्पिनर बन गए। काफी लंबे समय तक टीम से अंदर-बाहर रहने वाले भज्जी ने साल 2022 में संन्यास लिया और फिर उन्होंने राजनीती में कदम रखा। आम आदमी पार्टी की टिकट पर हरभजन सिंह राज्यसभा सांसद बने। इसके अलावा हरभजन सिंह कमेंट्री करने लगे और उन्हें अक्सर मैच की कमेंट्री करते हुए देखा जाता है। इससे ये पता चलता है कि उनका इस खेल से कितना लगाव है।
टेस्ट क्रिकेट में भारत की तरफ से पहली हैट्रिक लेने वाले हरभजन सिंह पहले खिलाड़ी हैं. उन्होंने साल 2001 में कोलकाता टेस्ट मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रिकी पोंटिंग, शेन वॉर्न और एडम गिलक्रिस्ट का विकेट हासिल किया था. हरभजन सिंह ने उस टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की तरफ से सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए थे.
साल 2007 में जब भारतीय टीम ने टी20 वर्ल्ड कप को अपने नाम किया था, तो उसमें हरभजन सिंह ने गेंद से काफी अहम भूमिका अदा की थी. वहीं साल 2011 के वनडे वर्ल्ड कप विजेता टीम में भी हरभजन सिंह सदस्य थे. अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान हरभजन सिंह ने 103 टेस्ट मैचों में 417 विकेट हासिल किए थे. इस दौरान उन्होंने 25 बार एक पारी में 5 विकेट जबकि 5 बार मैच में 10 विकेट हासिल किए थे.
बेहद कम लोग जानते हैं कि हरभजन सिंह एक वक्त क्रिकेट छोड़कर ट्रक ड्राइवर बनने चले गए थे। दरअसल, साल 2000 में उनके पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद मां और पांच बहनों की जिम्मेदारी उन्हीं पर आ गई थी। ऐसे में उन्होंने यह ठान लिया था कि, वह कनाडा जाकर ट्रक चलाएंगे। लेकिन, बहनों की सलाह पर रुक गए और क्रिकेट खेलते रहे। साल 2000 की रणजी ट्रॉफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर टीम इंडिया में जगह बनाई थी। फिर जो हुआ वह इतिहास है। आज क्रिकेट के नाम पर हरभजन सिंह का नाम पूरी दुनिया जानती है।