इंग्लैंड और भारत का मैच चल रहा है और मैच में दो किरदारों ने जमकर तारीफे बटोरी है नाम सरफ़राज़ खान और ध्रुव जुरेल लेकिन शायद जब से यह मैच चालू हुआ एक खिलाडी की ऊपर काफी ज्यादा निगाहें थी सरफ़राज़ खान और दूसरे खिलाडी ध्रुव जुरैल को शायद सभी नजर अंदाज करगये लेकिन अगर ध्रुव जुरैल के हौसले के बारे में जानेगे तो आपको यकीन नहीं होगा हर सफलता के पीछे एक कहानी लिखी होती है लेकिन ध्रुव जुरैल की कहानी भी बड़ी अनोखी है
HIGHLIGHTS
- 13 साल का एक बच्चा. घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर
- पहले तो उन्हें लगा कि बच्चा लोकल यानी नोएडा का होगा
- जिस दोस्त ने मेरे रहने की व्यवस्था करने का वादा किया था
Dhruv Jurel ने राजकोट टेस्ट से डेब्यू किया. अपनी पहली पारी में उन्होंने 46 रन बनाए. जुरेल के कोच ने एक बातचीत में बताया कि कैसे सिर्फ़ 13 साल की उम्र में वह अकेले आगरा से नोएडा चले आए थे.
13 साल का एक बच्चा. घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर. अकेला. इलाके के सबसे प्रसिद्ध क्रिकेट कोच के ऑफिस में आकर अपनी अकैडमी में रखने की रिक्वेस्ट कर रहा है. कोच हैरान. पहले तो उन्हें लगा कि बच्चा लोकल यानी नोएडा का होगा. तभी अकेले आ गया. लेकिन फिर ये बच्चा बोला,’सर, मैं आगरा से अकेला आया हूं. और जिस दोस्त ने मेरे रहने की व्यवस्था करने का वादा किया था, अब फ़ोन नहीं उठा रहा.’ये सब सुनकर लगा कि ये बालक कहीं घर से तो नहीं भाग आया. कोच फूल चंद ने ध्रुव से उसके पापा का नंबर मांगा. और फोन किया. उधर से पिताजी बोले, ‘मैं आता, लेकिन पिताजी की तेरहवीं थी और बच्चे ने कहा कि चिंता मत करिए मैं आगरा से दिल्ली की ट्रेन ले लूंगा.’
’13 साल के बच्चे के अकेले आने की कहानी जान मुझे लगा कि ये बच्चा स्पेशल है. मेरी अकैडमी में, अगर आपके पास मेरिट है तो इस बात से फ़र्क नहीं पड़ता कि आप रिक्शेवाले के बेटे हैं या मंत्री के. आपको हर मौका मिलेगा. ध्रुव शुरुआत से ही बहुत मेहनती था और उसके पास टैलेंट भी था. उसके लिए परफ़ॉर्म करते हुए आगे जाना मुश्किल नहीं था.
कोच ने ये भी कहा कि उन्होंने ध्रुव को किसी चीज की कमी नहीं आने दी. वह बोले,
अगर मुझे पता है कि लड़का आगे जा सकता है, तो मैं अपनी जेब से उसे बेस्ट चीजें दिलाता हूं. भगवान का शुक्र है कि मैं बहुत से इंडिया, अंडर-19 और फ़र्स्ट क्लास क्रिकेटर्स बना चुका हूं.’
ध्रुव की कहानी कमाल है. उनके पिताजी कारगिल की जंग में लड़े थे. बाद में रिटायर हुए, तो घर के हालात बहुत अच्छे नहीं थे. अपनी पहली किट के लिए ध्रुव को घर में ही सत्याग्रह करना पड़ा था. उन्होंने खुद को वॉशरूम में बंद कर लिया. जिसके बाद उनकी माताजी ने अपनी सोने की चेन गिरवी रखी. और फिर ध्रुव को किट मिली.राजकोट टेस्ट से डेब्यू करने वाले ध्रुव ने पहली पारी में 46 रन बनाए. उन्होंने रविचंद्रन अश्विन के साथ बेहतरीन पार्टनरशिप की. दोनों की बदौलत टीम इंडिया ने पहली पारी में 445 रन बनाए. इनसे पहले एक और डेब्यू कर रहे प्लेयर सरफ़राज़ ने 62 रन की पारी खेली थी. जबकि रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा ने शतक बनाए.
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