
पिछले कुछ वक्त में बांग्लादेश से कुछ ऐसी खबरें आई हैं जिन्हें देखकर ये सवाल खड़ा होता है कि क्या वहां हिंदू पहचान और विरासत को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है? ऐसा ही कुछ देखा गया श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच हुए मैच में वहीं तीन अलग-अलग घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन हर एक में एक कॉमन बात है हर बार किसी न किसी तरह हिंदू नाम, पहचान या इतिहास को टारगेट किया गया है।
1. क्रिकेटर्स ने खुद का राष्ट्रगान नहीं गाया, क्योंकि टैगोर ने लिखा है?
श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज के तीसरे मैच में जब बांग्लादेश का राष्ट्रगान बजा, तो सबने नोटिस किया कि टीम के खिलाड़ी चुपचाप खड़े रहे, किसी ने गान नहीं गाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके पीछे ये वजह बताई जा रही है कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा है। जो एक हिंदू थे। अब सोचने वाली बात ये है कि एक देश का राष्ट्रगान उसकी पहचान होता है। लेकिन वहां अब ये बहस चल रही है कि जिसने इसे लिखा वो कौन था, क्या उसका धर्म सही था या नहीं
2. सत्यजीत रे का पुश्तैनी घर तोड़ा जा रहा है
बांग्लादेश के मयमेंसिंह शहर में सत्यजीत रे का ancestral घर है। यानी उनके पूर्वजों का मकान। सत्यजीत रे सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक बड़े फिल्ममेकर थे। लेकिन अब बांग्लादेश में उस घर को गिराने की तैयारी हो रही है। भारत सरकार ने इस पर नाराजगी जताई है और कहा है कि अगर बांग्लादेश चाहे तो भारत उस घर को बचाने में मदद करने को भी तैयार है। अब सवाल ये है कि क्या सिर्फ इसलिए ये घर हटाया जा रहा है क्योंकि ये एक हिंदू परिवार से जुड़ा है
3. ढाका यूनिवर्सिटी से टैगोर की मूर्ति हटाई गई
2023 में ढाका यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स ने कैंपस में एक छोटी सी टैगोर की मूर्ति लगाई थी, एक तरह से सेंसरशिप के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के लिए। लेकिन कुछ ही दिनों में यूनिवर्सिटी ने वो मूर्ति हटा दी। वजह साफ नहीं बताई गई, लेकिन बहुत से लोग मानते हैं कि टैगोर हिन्दू थे इसलिए ऐसा किया गया। बता दें ये वही टैगोर हैं जिनका लिखा हुआ गाना बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना।