भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट की लंबी और ऐतिहासिक राइवलरी को एक नया नाम मिल गया है – अब ये सीरीज़ “एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी” के नाम से जानी जाएगी। इस बदलाव के पीछे एक बेहद भावुक और खास वजह है, जिसे लेकर खुद सचिन तेंदुलकर ने पहल की।सचिन का कहना है कि पताौदी परिवार की विरासत को भूलना नहीं चाहिए, क्योंकि इस परिवार ने भारतीय क्रिकेट को मजबूत नींव दी। इसी वजह से अब से जो भी भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज़ खेली जाएगी, उसके विजेता कप्तान को “पताौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस” दिया जाएगा।
पहले जब सीरीज़ इंग्लैंड में होती थी तो उसे “पताौदी ट्रॉफी” कहा जाता था, और भारत में खेली जाने वाली सीरीज़ “एंथनी डी मेलो ट्रॉफी” के नाम से होती थी। अब दोनों को मिलाकर एक नई पहचान दी गई है — “एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी”, जो भारत और इंग्लैंड की टेस्ट राइवलरी को एक नई ऊंचाई देती है।सचिन तेंदुलकर ने बताया कि उन्होंने खुद BCCI, ECB और ICC चेयरमैन जय शाह से बात की और सुझाव दिया कि पताौदी साहब की याद में कोई खास सम्मान बना रहना चाहिए। सभी ने मिलकर सहमति जताई कि पताौदी मेडल विजेता कप्तान को दिया जाए, जो कि एक बड़ी बात है क्योंकि मंसूर अली खान पताौदी को उनकी कप्तानी और लीडरशिप के लिए जाना जाता है।
तेंदुलकर ने कहा, “हम अपने सीनियर्स की इज्जत करते हैं और उनके योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए। जो नींव उन्होंने बनाई थी, उसी पर आज की टीम खड़ी है।”
इस ट्रॉफी में शामिल हुआ है जेम्स एंडरसन का नाम भी, जो 700 से ज्यादा विकेट लेकर दुनिया के सबसे सफल तेज़ गेंदबाज़ बन चुके हैं। वहीं तेंदुलकर के नाम 15,921 टेस्ट रन हैं, और वो आज भी इस फॉर्मेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। दोनों ही खिलाड़ियों ने अपने देश के लिए 180 से ज्यादा टेस्ट मैच खेले हैं – सचिन ने 200 और एंडरसन ने 188।