
भारतीय क्रिकेटर और विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) टेस्ट में अपनी जुझारू पारी से सभी को प्रभावित किया। पहली पारी में भारत केवल 185 रन बना सका, लेकिन पंत ने मुश्किल परिस्थितियों में संयमित बल्लेबाजी की और 98 गेंदों पर 40 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने अपनी आक्रामक शैली को छोड़कर स्थिति के अनुसार खेलना चुना।
संभलकर खेलने का मुश्किल फैसला
मैच के बाद पंत ने बताया कि पिच पर गेंद काफी हरकत कर रही थी और भारतीय टीम मुश्किल में थी। इस कारण उन्हें अपने नेचुरल गेम को बदलना पड़ा। उन्होंने कहा, “मैंने आक्रामक क्रिकेट खेलने का फैसला नहीं किया क्योंकि पिच का मिजाज चुनौतीपूर्ण था। हमारी टीम पहले ही दबाव में थी और मैं नहीं चाहता था कि जल्दी बड़े शॉट्स खेलकर हम और विकेट गंवा दें। इसीलिए मैंने संभलकर खेलने का फैसला किया।”
पंत ने यह भी कहा कि क्रिकेट में संतुलन बनाए रखना जरूरी है। “आपको अपने नेचुरल गेम पर भरोसा करना चाहिए, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार खेल को एडजस्ट करना भी आना चाहिए। आक्रामक और रक्षात्मक बल्लेबाजी के बीच तालमेल बिठाना ही असली चुनौती है, और मैं लगातार इसे बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा हूं।”
चोट के बावजूद टीम के लिए डटे रहे
मैच के दौरान पंत को कई बार शरीर पर गेंदें लगीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कहा, “हां, चोट लगने से दर्द हुआ, लेकिन टीम के लिए यह सब जरूरी था। मैं इन चीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता और बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं। क्रिकेट में हर दिन नई चुनौतियां होती हैं। यह पहली बार था जब मुझे ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन मैं इसे लेकर ज्यादा नहीं सोच रहा हूं।”
टीम के लिए सकारात्मक सोच
पंत ने माना कि 185 रन का स्कोर बड़ा नहीं था, लेकिन भारतीय गेंदबाजों पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा, “यह स्कोर ज्यादा नहीं है, लेकिन हम इस पर मुकाबला कर सकते हैं। हमारे पास अच्छे गेंदबाज हैं जो इस स्कोर को डिफेंड कर सकते हैं।”
ऋषभ पंत की यह पारी दिखाती है कि वह टीम के लिए किसी भी स्थिति में खुद को ढाल सकते हैं। चोट के बावजूद उनका जुझारूपन और सकारात्मक रवैया भारतीय टीम के लिए प्रेरणा है।