
भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज का दूसरा मुकाबला 2 जुलाई से बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में खेला जाएगा। भारत को पहले टेस्ट में लीड्स में इंग्लैंड के हाथों 5 विकेट से हार झेलनी पड़ी थी और अब टीम को दूसरा मैच जीतकर सीरीज में वापसी करनी होगी। लेकिन चिंता की बात ये है कि एजबेस्टन का रिकॉर्ड भारत के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है।
एजबेस्टन में भारत का खराब इतिहास
एजबेस्टन में भारत ने अब तक 7 टेस्ट मैच खेले हैं, लेकिन जीत एक बार भी नसीब नहीं हुई। इन सात मैचों में छह बार भारत को हार मिली है और सिर्फ एक मुकाबला ड्रॉ हो पाया। यह रिकॉर्ड भारतीय टीम के लिए खतरे की घंटी जैसा है।
भारत का एजबेस्टन टेस्ट रिकॉर्ड:
• 1967 – इंग्लैंड से 132 रन से हार
• 1974 – पारी और 78 रन से हार
• 1979 – पारी और 83 रन से हार
• 1986 – मैच ड्रॉ
• 1996 – इंग्लैंड से 8 विकेट से हार
• 2011 – पारी और 242 रन से सबसे बड़ी हार
• 2022 – 7 विकेट से हार
2011 की हार भारत की अब तक की सबसे शर्मनाक हार मानी जाती है, जब इंग्लैंड ने पारी और 242 रन से मात दी थी। वहीं 2022 में भी भारत मैच बचा नहीं पाया और 7 विकेट से हार गया।
क्या टीम इंडिया बदल पाएगी इतिहास?
पहले टेस्ट की हार के बाद अब टीम पर दबाव और ज़्यादा बढ़ गया है। एजबेस्टन में जीत दर्ज करने के लिए भारत को ना सिर्फ दमदार प्रदर्शन करना होगा बल्कि अपनी रणनीति में भी बदलाव करना पड़ेगा। जसप्रीत बुमराह के सीमित टेस्ट खेलने के फैसले के बाद माना जा रहा है कि दूसरे टेस्ट में वो नहीं खेलेंगे। ऐसे में अर्शदीप सिंह या आकाशदीप सिंह जैसे युवा गेंदबाजों को मौका मिल सकता है।
नई बल्लेबाज़ी लाइनअप की तैयारी
बल्लेबाज़ी में भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। शुभमन गिल की कप्तानी में युवा बल्लेबाजों पर जिम्मेदारी बढ़ी है। अभिमन्यु ईश्वरन और नीतीश कुमार रेड्डी जैसे खिलाड़ियों को मौका मिल सकता है ताकि मिडिल ऑर्डर को मज़बूती दी जा सके। भारत को खासकर स्विंग होती गेंदों से निपटने के लिए तकनीकी तौर पर मज़बूत बल्लेबाज़ी करनी होगी।
जीत के लिए चाहिए आक्रामक सोच
अब जबकि टीम पहले ही पीछे है, तो ड्रेसिंग रूम में सोच भी आक्रामक रखनी होगी। कोचिंग स्टाफ और कप्तान को मिलकर ऐसा टीम संयोजन बनाना होगा जो इंग्लैंड के खिलाफ दबाव बना सके। गेंदबाज़ी में लाइन और लेंथ पर नियंत्रण और बल्लेबाज़ी में धैर्य के साथ रन गति बनाए रखना बेहद ज़रूरी होगा।
अगर भारत एजबेस्टन में इतिहास को पलट देता है, तो ना सिर्फ सीरीज बराबर हो जाएगी, बल्कि टीम का आत्मविश्वास भी ज़बरदस्त तरीके से वापस आएगा। वरना, एक और हार से वापसी की राह और मुश्किल हो सकती है।