Ben Stokes  Image Source: Social media
Cricket

Your karma will affect you almost instantly: Stokes के बयान पर भड़के Ashwin

Pant की जगह अगर Stokes की टीम का खिलाड़ी होता, तब क्या 'joke' कहते?

Anjali Maikhuri

भारत और इंग्लैंड के बीच खेली गई एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का आखिरी टेस्ट काफी यादगार रहा। क्रिकेट फैंस के लिए मैदान पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन जितना खास था, उतनी ही दिलचस्प रही रविचंद्रन अश्विन की इस मैच पर की गई गहरी सोच और विश्लेषण। अश्विन, जो मैदान पर हमेशा समझदारी से खेलने वाले खिलाड़ी माने जाते हैं, अब मैदान के बाहर भी क्रिकेट को जिस नजर से देखते हैं, वो किसी एक्सपर्ट से कम नहीं है।

अपने यूट्यूब शो 'Ash Ki Baat' में अश्विन ने इस टेस्ट सीरीज़ को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने न सिर्फ इस मुकाबले की तारीफ की, बल्कि उन कमियों की भी बात की, जो उन्हें सीरीज़ में दिखाई दीं। उन्होंने साफ कहा कि क्रिकेट में खेल भावना के साथ-साथ इंसानियत और समझदारी भी ज़रूरी है।

अश्विन ने कहा कि तमिल में एक कहावत है जिसका मतलब है, "जो कर्म करोगे, उसका फल तुरंत मिलेगा।" इसी बात को जोड़ते हुए उन्होंने इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स के एक बयान की आलोचना की। हुआ ये था कि मैच के बाद एक सवाल उठा कि क्या Rishabh Pant जैसी चोटिल खिलाड़ी के लिए सब्स्टीट्यूट की इजाज़त मिलनी चाहिए? इस पर गौतम गंभीर ने कहा था कि ऐसी चोटों पर प्लेयर रिप्लेसमेंट की सुविधा होनी चाहिए। लेकिन जब स्टोक्स से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे मज़ाक कहकर टाल दिया।

अश्विन ने कहा कि वो स्टोक्स के खेल के बहुत बड़े फैन हैं, लेकिन यहां उन्हें थोड़ी संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी। उन्होंने कहा, “आप अपनी बात ज़रूर रखिए, लेकिन ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना जैसे ‘joke’ या ‘ridiculous’, ये ठीक नहीं है। सोच-समझकर बोलिए, क्योंकि कर्मा तुरंत असर करता है।”

अश्विन ने इंग्लैंड के खिलाड़ी क्रिस वोक्स की भी तारीफ की। उन्होंने बताया कि वोक्स कैसे घायल कंधे के साथ मैदान पर उतरे, उनका हाथ स्वेटर के अंदर छिपा था, फिर भी वो मैदान पर उतरने के लिए तैयार थे। उन्होंने अपनी टीम के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया। जब टीम को जरूरत थी, तब उन्होंने न सिर्फ खुद रन बनाए बल्कि स्ट्राइक भी सही वक्त पर अपने साथी को दी। अश्विन ने कहा, “ऐसा जज़्बा बहुत कम प्लेयर्स में दिखता है। वोक्स ने अपनी बॉडी लाइन पर रखकर टीम को जिताने की कोशिश की। ऐसे खिलाड़ी को सलाम है।”

इसी बातचीत के दौरान अश्विन ने इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन के एक बयान का भी जिक्र किया। वॉन ने कहा था कि अब समय आ गया है कि क्रिकेट के नियमों में थोड़ा बदलाव होना चाहिए। अश्विन ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि गेम को और बेहतर बनाने के लिए प्लेयर सब्स्टीट्यूशन जैसे विकल्पों को गंभीरता से लेना चाहिए।

उन्होंने एक सिंपल लेकिन जरूरी सवाल उठाया – “अगर रिषभ पंत जैसा खिलाड़ी स्टोक्स की टीम में होता और वो चोटिल हो जाता, तो क्या तब भी स्टोक्स यही प्रतिक्रिया देते? क्या वो भी तब इसे मज़ाक कहते?” अश्विन का मानना है कि किसी भी टीम को, चाहे वो विरोधी ही क्यों न हो, इंसानियत और इमोशनल समझ के साथ देखा जाना चाहिए।

उनका यह भी कहना था कि क्रिकेट सिर्फ आंकड़ों और रणनीति का खेल नहीं है, बल्कि यह खिलाड़ियों की सोच, भावनाओं और इंसानियत से भी जुड़ा हुआ है। जब एक खिलाड़ी मैदान पर उतरता है, तो वह सिर्फ रन या विकेट के लिए नहीं खेलता, वह अपनी टीम, अपने देश और अपने आत्मसम्मान के लिए खेलता है।

इस पूरे विश्लेषण में अश्विन ने दिखा दिया कि वह न केवल शानदार गेंदबाज़ हैं, बल्कि एक ऐसे क्रिकेट प्रेमी भी हैं जो खेल को गहराई से समझते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे छोटी-छोटी चीज़ें एक बड़ी बहस का कारण बन सकती हैं और कैसे खिलाड़ियों को सिर्फ अपने ही नहीं, दूसरों के नजरिए से भी सोचना चाहिए।