दक्षिण अफ्रीका के धाकड़ बल्लेबाज़ हेनरिच क्लासेन ने जब अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया, तो हर कोई हैरान रह गया। 33 साल की उम्र में ये फैसला इसलिए चौंकाने वाला रहा क्योंकि क्लासेन ने पहले ये कहा था कि वो 2027 वर्ल्ड कप तक देश के लिए खेलना चाहते हैं।
क्लासेन ने हाल ही में बताया कि उन्होंने क्रिकेट से दूरी क्यों बनाई। उनका कहना है कि पिछले कुछ वक्त से वो मैचों में ना तो खुद के प्रदर्शन को लेकर उत्साहित थे और ना ही टीम की जीत-हार से फर्क पड़ता था। क्लासेन ने साफ कहा – “कई महीनों से मुझे लगने लगा था कि जीत या हार से कोई फर्क नहीं पड़ रहा। ये बहुत गलत स्थिति थी। मैंने चैंपियंस ट्रॉफी से पहले कोच रॉब वॉल्टर से बात की और बताया कि दिल से अब अच्छा नहीं लगता।”
2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 174 रनों की जबरदस्त पारी खेलने वाले क्लासेन का करियर शानदार रहा है। उन्होंने 60 वनडे मैचों में 2141 रन बनाए, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 117.14 रहा – जो कि 2000 से ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में सिर्फ ग्लेन मैक्सवेल से कम है। टी20 में भी उन्होंने 58 मैचों में 1000 रन बनाए हैं।
हालांकि क्लासेन की रिटायरमेंट का एक और बड़ा कारण उनका निजी जीवन और परिवार भी रहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वो साल भर खेलने के बजाय अब सिर्फ चार बड़ी फ्रेंचाइजी लीग्स में हिस्सा लेना चाहते हैं – जिससे वो साल में करीब 6-7 महीने अपने घरवालों के साथ बिता सकें। MLC और The Hundred जैसी लीग्स के कारण उन्हें इंटरनेशनल सीरीज़ जैसे ज़िम्बाब्वे-न्यूज़ीलैंड ट्राई-सीरीज़ और ऑस्ट्रेलिया टूर छोड़ना पड़ता।
कोच वॉल्टर के हटने और शुक्री कॉनराड के आने के बाद भी क्लासेन के फैसले में कोई बदलाव नहीं आया। भले ही उनकी नए कोच से अच्छी बनती थी, लेकिन उन्होंने तय कर लिया है कि अब वो इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेलेंगे।
क्लासेन का यह फैसला एक कड़वा सच दिखाता है – जब दिल से खेलना बंद हो जाए, तो आंकड़ों से फर्क नहीं पड़ता।