कराबियाई क्रिकेट के इतिहास में 12 अगस्त 2025 का दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। तीसरे और निर्णायक वनडे में वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान को 202 रनों से हराकर न सिर्फ सीरीज 2-1 से जीती, बल्कि 34 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। यह 1991 के बाद पहली बार है जब वेस्टइंडीज ने पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज जीती है, और इस सदी (2000 के बाद) में किसी भी फॉर्मेट में पाकिस्तान पर उनकी पहली सीरीज जीत भी है।
गयाना में खेले गए इस सीरीज डिसाइडर मैच में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। शुरुआती झटकों के बाद टीम को संभालने की जिम्मेदारी कप्तान शे होप ने उठाई और उन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक खेल डाली। 94 गेंदों में नाबाद 120 रन जिसमें 10 चौके और 5 छक्के शामिल थे। पाकिस्तान के गेंदबाजों को पूरी तरह बैकफुट पर डाल दिया। यह उनका वनडे क्रिकेट में 18वां और पाकिस्तान के खिलाफ दूसरा शतक रहा। मैच का निर्णायक मोड़ तब आया जब पहले 42 ओवर में टीम का स्कोर 185/6 था, लेकिन आखिरी 8 ओवरों में होप की आक्रामक बल्लेबाजी ने 109 रन जोड़ दिए। इस विस्फोटक फिनिश ने वेस्टइंडीज को 50 ओवर में 6 विकेट पर 294 रनों के सम्मानजनक नहीं, बल्कि मैच-विनिंग स्कोर तक पहुंचा दिया।
295 रन का लक्ष्य आज के दौर में असंभव नहीं माना जाता, लेकिन पाकिस्तान की पारी की शुरुआत ही निराशाजनक रही। सलामी बल्लेबाज जल्द पवेलियन लौटे और मिडिल ऑर्डर भी संभलने की बजाय ढह गया। पूरी टीम 29 ओवर भी नहीं टिक पाई और मात्र 92 रन पर ऑलआउट हो गई। यह पाकिस्तान के वनडे इतिहास की सबसे बड़ी हार है रनों के हिसाब से। इससे पहले 2015 में क्राइस्टचर्च में उन्हें 150 रन से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार वेस्टइंडीज ने उस रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।
वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज जायडन सील्स ने करियर की सबसे बेहतरीन गेंदबाजी की। उनकी 7.2 ओवर की स्पेल में रफ्तार, स्विंग और सटीकता का ऐसा मिश्रण देखने को मिला जिसने पाकिस्तानी बल्लेबाजों को असहाय कर दिया। सील्स ने सिर्फ 18 रन देकर 6 विकेट चटकाए यह उनका करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। उनके अलावा अल्जारी जोसेफ और रोमारियो शेफर्ड ने भी अहम योगदान दिया, लेकिन सील्स के सामने सभी विकेट फीके पड़ गए। इस जीत के साथ वेस्टइंडीज ने वह किया जो तीन दशकों से ज्यादा समय से नहीं हो पाया था। 1991 में पाकिस्तान के खिलाफ आखिरी बार वनडे सीरीज जीतने के बाद से कैरेबियाई टीम बार-बार कोशिश करती रही, लेकिन नाकाम रही।