भारतीय क्रिकेट टीम में फिटनेस को लेकर जल्द ही नया पैमाना तय होने जा रहा है। बीसीसीआई ने खिलाड़ियों की फिटनेस जांचने के लिए अब ब्रोंको टेस्ट लागू करने का फैसला किया है। यह टेस्ट पहले रग्बी में इस्तेमाल होता था और यो-यो टेस्ट से भी कहीं ज्यादा कठिन माना जाता है। खिलाड़ियों को 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की शटल रन तय समय सीमा में पूरी करनी होती हैं। तेज गेंदबाजों के साथ-साथ बल्लेबाजों को भी अब यह टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा। लेकिन इसी बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी का बयान चर्चा में है। उनका मानना है कि यह फैसला टीम इंडिया के मौजूदा वनडे कप्तान रोहित शर्मा के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला है।
क्रिकट्रैकर से बातचीत में मनोज तिवारी ने कहा,“ब्रोंको टेस्ट एक बेहद कठिन फिटनेस टेस्ट है। सवाल यह है कि इसे अभी क्यों लागू किया गया? अगर नए हेड कोच के आने के साथ ही इसे लागू करना था तो उस समय क्यों नहीं किया गया? मुझे लगता है कि इस टेस्ट का टारगेट कुछ खास खिलाड़ी हो सकते हैं। उन्होंने साफ कहा कि 38 वर्षीय रोहित शर्मा को इस टेस्ट में पास करना आसान नहीं होगा। तिवारी ने यहां तक दावा कर दिया कि,“ब्रोंको टेस्ट उन खिलाड़ियों को टीम से बाहर रखने की कोशिश है जिन्हें मैनेजमेंट भविष्य में नहीं देख रहा। विराट को 2027 वर्ल्ड कप प्लान से बाहर करना मुश्किल है, लेकिन रोहित को इस टेस्ट से रोका जा सकता है।”
रोहित शर्मा ने हाल ही में संकेत दिए थे कि वह 2027 वर्ल्ड कप तक खेलना चाहते हैं। लेकिन अगर वह फिटनेस मानकों पर खरे नहीं उतर पाए तो उनका सपना अधूरा रह सकता है। ब्रोंको टेस्ट में लगातार दौड़, स्पीड और स्टैमिना की जरूरत होती है, और यह उम्रदराज खिलाड़ियों के लिए और भी बड़ी चुनौती बन सकता है। भारतीय टीम के स्ट्रेंथ और कंडिशनिंग कोच एंड्रयू ली रू ने इसका सुझाव दिया। उनका मानना है कि खिलाड़ियों को सिर्फ जिम वर्कआउट पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि मैदान पर रनिंग और स्टैमिना पर भी ध्यान देना जरूरी है। खासकर तेज गेंदबाजों के लिए यह टेस्ट फिटनेस का सही पैमाना साबित हो सकता है।