भारत और इंग्लैंड के बीच पहले टेस्ट में भारत को हार का सामना करना पड़ा, जिसमें इंग्लैंड ने 371 रन का विशाल लक्ष्य हासिल कर लिया। इस हार के बाद भारतीय गेंदबाजों की काफी आलोचना हुई, लेकिन अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इस पर नाराजगी जताई है। उन्होंने माना कि गेंदबाजी उतनी प्रभावी नहीं थी, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि सारा दोष गेंदबाजों पर डालना सही नहीं है।अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल पर बातचीत में कहा, “जब इंग्लैंड ने 370 का पीछा कर मैच जीत लिया, तो कमेंट्री का पूरा फोकस भारतीय गेंदबाजों की नाकामी पर चला गया। ऐसा लगा जैसे सिर्फ गेंदबाज ही जिम्मेदार हैं। लेकिन अगर थोड़ा रिसर्च किया जाए, तो पता चलेगा कि इंग्लैंड में चौथी पारी में बड़े लक्ष्य का पीछा पहले भी होता रहा है।”
अश्विन ने यह भी कहा कि बल्लेबाजों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने साफ किया कि रन बनाना काफी नहीं होता, उन्हें बड़े स्कोर में बदलना जरूरी होता है। भारत की पारी में पांच बल्लेबाजों ने शतक जरूर लगाए, लेकिन अश्विन ने पूछा कि “डैडी हंड्रेड्स” कहां हैं यानी ऐसे शतक जो मैच का रुख बदल सकें।उन्होंने कहा, “बल्लेबाजों को ज्यादा जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हां, शतक बने हैं, लेकिन क्या वो बड़े और असरदार शतक थे? हमें ये भी मानना होगा कि हमारे निचले क्रम से कोई रन की उम्मीद नहीं की जा सकती। हमारे तेज गेंदबाज बैटिंग में खास योगदान नहीं दे सकते।”
हालांकि अश्विन ने बाकी गेंदबाजों की आलोचना भी की, लेकिन जसप्रीत बुमराह की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने बढ़िया लाइन और लेंथ से दबाव बनाया। उनका मानना है कि बुमराह के साथ अगर बाकी गेंदबाज रन रोकने में सफल रहें, तो विकेट अपने आप मिलेंगे।अश्विन ने कहा, “टेस्ट क्रिकेट में मेडन ओवर की अहमियत बहुत ज्यादा है। अगर बुमराह थोड़े ज्यादा रन भी दे रहे हैं, तो दूसरे गेंदबाजों को कंजूस गेंदबाजी करनी चाहिए। मैंने सुना कि किसी शो में कहा गया कि सिराज को विकेट नहीं मिले क्योंकि वे अनलकी थे। लेकिन सिर्फ अच्छी गेंदबाजी काफी नहीं होती, इकॉनमी रेट भी जरूरी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब पहली पारी में ज्यादा रन लुटाए जाते हैं, तो दूसरी पारी में गेंदबाज दबाव में आ जाते हैं और आक्रामकता कम हो जाती है। “अगर मैं मॉर्केल होता, तो बाकी गेंदबाजों से कहता कि ज्यादा कुछ मत करो, बुमराह अकेले काफी हैं। जैसा कहा जाता है, तीन मेडन डालो, विकेट मिल जाएगा।”