भारत और इंग्लैंड के बीच हेडिंग्ले में चल रहे पहले टेस्ट में यशस्वी जायसवाल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो बड़े मंच के खिलाड़ी हैं। पहले ही दिन यशस्वी ने शानदार शतक जड़ दिया और अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। उन्होंने 101 रन बनाकर नाबाद पारी खेली और बताया कि उनके अंदर कितना संयम और दम है।
क्रैम्प के बावजूद रुके नहीं यशस्वी
मैच के बाद जब यशस्वी से उनकी पारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने खुलासा किया कि बल्लेबाज़ी के दौरान उन्हें दोनों हाथों में क्रैम्प आ गए थे। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और मैदान पर डटे रहे।
उन्होंने कहा, “दोनों हाथों में क्रैम्प थे, लेकिन ऐसा होता रहता है। मैं लगातार अपनी बल्लेबाज़ी पर मेहनत कर रहा हूं ताकि मैदान में खुद को अच्छे से दिखा सकूं। शुभमन गिल के साथ बल्लेबाज़ी करना शानदार अनुभव रहा।”
इंग्लैंड में पहला टेस्ट और शतक
ये शतक इंग्लैंड की जमीन पर उनका पहला था और इससे पहले उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भी डेब्यू टेस्ट में शतक लगाया था। ऐसे कारनामे करने वाले वह पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। इंग्लैंड के खिलाफ उनका रिकॉर्ड भी कमाल का है। अब तक वो 10 टेस्ट में 813 रन बना चुके हैं, जिसमें तीन शतक शामिल हैं।
गेंदबाज़ों पर किया पलटवार
बेन स्टोक्स ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाज़ी का न्योता दिया, लेकिन यशस्वी और उनकी टीम ने इस फैसले को गलत साबित कर दिया। पहले दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने 3 विकेट पर 359 रन बना लिए थे। यशस्वी ने इस पारी में 16 चौके और 1 छक्का लगाया और उनका स्ट्राइक रेट रहा 63.52, जो बताता है कि उन्होंने कैसे तेजी से रन बनाए।
शुभमन गिल के साथ मजबूत साझेदारी
तीसरे विकेट के लिए यशस्वी और कप्तान शुभमन गिल के बीच 129 रनों की अहम साझेदारी हुई। इस साझेदारी ने टीम इंडिया को एक मजबूत आधार दिया, खासकर उस वक्त जब सीनियर खिलाड़ी विराट कोहली और रोहित शर्मा अब टेस्ट टीम का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में युवाओं के ऊपर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव था।
जिम्मेदारी निभाने का जज्बा
यशस्वी ने कहा, “हम सबको पता है कि हम पर जिम्मेदारी है। हमें देश और टीम के लिए अच्छा करना है। जब आप दबाव में खेलते हो तो मानसिक रूप से मजबूत रहना बहुत ज़रूरी होता है। इंग्लैंड सीरीज़ से पहले बेकनहैम में हमारी तैयारियां बहुत अच्छी रहीं। वहां माहौल भी शानदार था। आज भी मैदान पर कई चुनौतियां थीं, लेकिन हमने उनसे निपटने की कोशिश की।”
यशस्वी की ये पारी सिर्फ एक शतक नहीं थी, बल्कि एक बयान था – कि भारत का नया युग शुरू हो चुका है, और इसमें उनका नाम सबसे आगे है।