आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की मेज़बानी पाकिस्तान के पास है, लेकिन टूर्नामेंट के आयोजन के दौरान सुरक्षा उल्लंघनों ने दुनियाभर में चिंता बढ़ा दी है। पाकिस्तान में हो रहे इस प्रतिष्ठित क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान एक बड़े सुरक्षा उल्लंघन की घटना सामने आई है, जब एक इस्लामवादी राजनीतिक दल के कथित समर्थक ने न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के बीच मैच के दौरान मैदान में घुसकर न्यूजीलैंड के क्रिकेटर रचिन रवींद्र से गले मिल लिया।
घटना का विवरण
न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के बीच 24 फरवरी को खेले गए मैच में न्यूजीलैंड ने बांग्लादेश को 5 विकेट से हराया और सेमीफाइनल में जगह बनाई। इस मैच के दौरान, एक व्यक्ति जो तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) का कथित समर्थक था, मैदान में घुस आया। इस व्यक्ति ने रचिन रवींद्र से न केवल संपर्क किया बल्कि उन्हें गले भी लगाया, जिससे कीवी बल्लेबाज भी नाराज हो गए। यह घटना तब हुई जब न्यूजीलैंड की टीम मैच में रन चेज़ कर रही थी और स्टेडियम में काफी संख्या में दर्शक मौजूद थे। घटना ने पाकिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि ऐसी घटनाओं से सुरक्षा के प्रति लोगों का विश्वास कमजोर होता है।
सुरक्षा उल्लंघन और सुरक्षा अलर्ट
इस घटना के बाद, पाकिस्तान के खुफिया ब्यूरो ने विदेशी मेहमानों को लेकर एक सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी संगठन जैसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), आईएसआईएस और ISKP ने पाकिस्तानी क्रिकेट इवेंट्स को निशाना बनाने की योजना बनाई है। इसके अलावा, इन आतंकी समूहों ने विशेष रूप से चीनी और अरब देशों के नागरिकों को निशाना बनाने की तैयारी की है।
पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी
पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि आतंकवादी ग्रुप्स उन क्षेत्रों में किराए पर घर लेने की योजना बना रहे हैं, जहां CCTV कैमरे नहीं लगे होते। इसके अलावा, अपहरण और फिरौती की योजना भी बनाई जा रही है, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। बता दें पाकिस्तान में क्रिकेट की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले, साल 2009 में पाकिस्तान में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। लाहौर में श्रीलंकाई टीम पर हुए इस हमले में कई खिलाड़ी घायल हो गए थे और इसके बाद से पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों की मेज़बानी पर भी सवाल उठने लगे थे।