भारतीय टीम को अपने ही घर में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है भारतीय टीम को न्यूजीलैंड की टीम ने उन्हीं के घर में वाइटवाश किया 12 साल में पहली बार हुआ है जब भारतीय टीम अपने घर में कोई टेस्ट सीरीज हारी हो चलिए आपको बताते हैं 4 ऐसे कारण जिसके चलते भारत को अपनी ही धरती पर मिली हार
पहले मुकाबले में रोहित शर्मा का गलत निर्णय - रोहित शर्मा की ओर से ओवरकास्ट कंडीशन में बंगलूरू टेस्ट में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी के फैसले ने पूरी सीरीज की दिशा बदल दी। भारत को 46 रन पर समेटने के बाद न्यूजीलैंड मनोवैज्ञानिक रूप से हावी हो गया। उसके बाद तो टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। टीम इतनी आत्मविश्वास में दिखी कि उन्हें केन विलियम्सन तक की कमी नहीं हुई। विल यंग ने विलियम्सन की भरपाई की, तो जरूरत पड़ने पर पुछल्ले बल्लेबाजों ने भी रन जोड़े। भारतीय तेज गेंदबाज हों या स्पिनर्स, वह कीवी बल्लेबाजों के आगे बेअसर दिखे। वहीं, गेंदबाजी में कीवियों ने सूझबूझ वाला खेल दिखाया। वह लाइन लेंथ से नहीं भटके और हर भारतीय बल्लेबाज के लिए बनाए गए प्लान पर अमल किया।
नहीं चला स्टार्स का बल्ला - दिग्गज विराट और रोहित अपने प्रदर्शन से टीम के आगे उदाहरण नहीं रख पाए। विराट ने तीन टेस्ट में 15.5 की औसत से 93 और रोहित ने 15.16 की औसत से 91 रन बनाए। इन दोनों का न चलना और खराब शॉट खेलकर आउट होने ने बाकी बल्लेबाजों पर दबाव बनाया। अगर टीम के दो दिग्गज बल्लेबाज जल्दी आउट हो रहे तो यह तो है ही कि बाकी बल्लेबाज यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या वाकई पिच मुश्किल है। ऐसा ही हुआ भी। एक-एक करते सभी बल्लेबाज वापस पवेलियन लौटते गए। ऋषभ पंत और कुछ हद तक शुभमन गिल को छोड़कर किसी बल्लेबाज ने पिच पर खड़े होकर धैर्य के साथ खेलने की जहमत नहीं दिखाई।
स्पिनर्स के लिए नहीं की थी अच्छी तैयारी - बंगलूरू की हार के बाद प्रबंधन ने पुणे और मुंबई में स्पिन पिच का दांव चला जो उल्टा पड़ा। 147 का लक्ष्य छोटा जरूर दिख रहा था, लेकिन पिच की स्थिति देखते हुए आसान नहीं था। हुआ भी यही, रोहित शर्मा अपनी आक्रामक रणनीति पर कायम रहे और फिर निराश किया। वह 11 गेंद में 11 रन बनाकर हेनरी की गेंद पर आउट हुआ। भारत का स्कोर इस दौरान 13 रन था। यहां से एजाज पटेल और फिलिप्स की स्पिन ने ऐसा कमाल किया कि भारत ने 16 रन के अंतराल में पांच विकेट खो दिए। शून्य पर 13 से स्कोर पांच विकेट पर 29 रन हो गया। शुभमन (1), विराट (1), यशस्वी (5), सरफराज (1) तू चल मैं आया वाली श्रेणी में शामिल हो गए। आलम यह है कि टीम इंडिया को आगे किसी घरेलू सीरीज में स्पिन पिच बनाने से पहले 10 बार सोचना होगा।
आश्विन का नहीं चला दाव - बांग्लादेश के खिलाफ अश्विन का गेंद और बल्ले दोनों से प्रभाव रहा था, लेकिन इस सीरीज में वह कुछ खास नहीं कर पाए। उन्होंने एक बार भी पारी में पांच विकेट नहीं मिला। अश्विन के लिए यह घरेलू टेस्ट सीरीज कुछ खास नहीं रही। उन्होंने तीन टेस्ट में नौ विकेट लिए। इस दौरान उनका गेंदबाजी औसत 41.22 का रहा। यह किसी घरेलू टेस्ट सीरीज में अश्विन का दूसरा सबसे खराब गेंदबाजी औसत है। 2012/13 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनका गेंदबाजी औसत 52.64 का रहा था। यही वो दो घरेलू सीरीज हैं जिसमें टीम इंडिया का प्रदर्शन भी खराब रहा है। भारत ने ये दोनों सीरीज गंवाए हैं। यानी अश्विन अगर किसी घरेलू सीरीज में अच्छी गेंदबाजी नहीं करते तो इसका सीधा असर टीम इंडिया पर पड़ता है। अश्विन ने अब तक अपने करियर में यही दो घरेलू टेस्ट सीरीज गंवाए भी हैं।